
Electoral Bond
What is Electoral Bond Fund : राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से चुनावी चंदा मिलता है। ऐसा जनवरी 2018 से चल रहा है। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिलने वाले चंदे में दानकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है। चुनावी बॉन्ड को जारी हुए पांच साल होने वाले हैं। अब भी इसके बारे में लोगों को कम जानकारी है। अधिकांश लोग इसे इंवेस्टमेंट बॉन्ड समझते हैं, लेकिन यह ऐसा नहीं है। चुनावी बांड को राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। उनका उद्देश्य राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाना था। इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने के लिए केवल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की अधिकृत बैंक है।
चुनावी बॉन्ड क्या है?
नरेंद्र मोदी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017 के बजट में चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। इसके बाद इसे अगले साल 29 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी। इस योजना को राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता लाने की कोशिशों के हिस्से के रूप में पार्टियों के लिए नकद चंदे के एक विकल्प के रूप में लाया गया है। इस योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत का कोई भी नागरिक या भारत में स्थापित संस्था खरीद सकती है। कोई व्यक्ति, अकेले या अन्य लोगों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।
कौन सी पार्टी प्राप्त कर सकती है चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने के लिए किसी दल का जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत (रजिस्टर्ड) होना चाहिए। इसके अलावा पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिये डाले गए वोटों में से कम-से-कम 1 प्रतिशत वोट हासिल किये हों, वे ही चुनावी बांड हासिल करने के पात्र हैं।
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कहां से प्राप्त कर सकते हैं ये बॉन्ड
चुनावी बांड योजना को अंग्रेजी में ‘इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम’ नाम से जाना जाता है। यह भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलते हैं। इनको एसबीआई की 29 शाखाओं से खरीदा जा सकता है। इसे नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कलकत्ता और गुवाहाटी समेत कई शहरों की एसबीआई की शाखाओं से खरीदा जा सकता है।
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कौन खरीद सकता है चुनावी बॉन्ड
योजना के प्रावधानों के अनुसार, भारत का कोई भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई वह इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं। यह बांड एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं। केवाईसी वेरिफाई होने के बाद राजनीतिक पार्टी अपने खाते में बॉन्ड भुना पाती है। इस बॉन्ड की खाासियत यह है कि चंदा किसने दिया, इसका पता नहीं चलता है। यह बांड जब बैंक जारी करता है तो इसके 15 दिनों के अंदर ही इसे लिया जा सकता है।
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Updated on:
31 Oct 2023 10:26 pm
Published on:
31 Oct 2023 10:21 pm
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