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Amla Ekadashi : जानें कब है रंगभरी एकादशी, नोट कर लें सही डेट और पूजा मुहूर्त

माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा से जानें रंगभरी एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि...

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Sanjana Kumar

Feb 14, 2023

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amla ekadashi 2023 vrat क्या आप जानते हैं रंगभरी एकादशी क्या है? कब और कैसे मनाई जाती है? यदि नहीं तो आपको बता दें कि रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विधान है। रंगभरी यही एकादशी आंवला एकादशी और आमलकी एकादशी भी कहलाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा से जानें रंगभरी एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि...

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amla ekadashi 2023 vrat ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा के मुताबिक रंगभरी एकादशी का पर्व इस साल 2023 में 3 मार्च को मनाया जाएगा। रंगभरी एकादशी के दिन से बाबा भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में रंगों के उत्सव का शुभारंभ होता है। इसके बाद यह पर्व अगले 6 दिन तक मनाया जाता है। इस एकादशी में भगवान विष्णु के अलावा माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

महत्व amla ekadashi 2023 vrat
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। दरअसल, मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद गौना करवाकर साथ लेकर आने के लिए आए थे। भगवान शिव के स्वागत में लोगों ने रंग और गुलाल उड़ाकर अपनी खुशियों का इजहार किया था। इस दिन भगवान भोलेनाथ ने भी अपने गणों के साथ रंग से होली खेली थी। इसलिए रंगभरी एकादशी के दिन से भगवान शिव को दूल्हे की तरह सजाए जाने की परम्परा है।

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पूजा विधि amla ekadashi 2023 vrat
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव को लाल गुलाल और माता पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित किया जाता है। वहीं इस दिन रात के समय जागरण करने से भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन रात के समय भगवान विष्णु के सामने 9 बत्तियों का दिया जलाकर भगवान विष्णु के समक्ष रख दें। इस बात का ख्याल रखें की वह रातभर जलता रहना चाहिए।

पूजा मुहूर्त amla ekadashi 2023 vrat
रंगभरी एकादशी तिथि 2 मार्च सुबह 6 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है, जबकि 3 मार्च को सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि 3 तारीख को मिलने से 3 मार्च को ही आमलकी या आंवला या फिर रंगभरी एकादशी का व्रत किया जाना शास्त्र में सममत होगा। एकादशी तिथि का पारण शनि पुष्य योग में 4 मार्च को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से पहले कर लेना बेहतर होगा।