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देव उठनी ग्यारस 2019 : जानें व्रत, पूजा विधान और तुलसी विवाह की सरल विधि

locationभोपालPublished: Oct 23, 2019 11:47:38 am

Submitted by:

Shyam

Dev Uthani Gyaras 2019 : देव उठनी ग्यारस के दिन जो भी व्रत रखकर विधि-विधान तुलसी विवाह एवं भगवान श्री नारायण के शालीगराम रूप की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें एक हजार अश्वमेध यज्ञों का पुण्यफल स्वतः ही प्राप्त होता है

देव उठनी ग्यारस 2019 : जानें व्रत, पूजा विधान और तुलसी विवाह की सरल विधि

देव उठनी ग्यारस 2019 : जानें व्रत, पूजा विधान और तुलसी विवाह की सरल विधि

देव उठनी ग्यारस एकादशी 8 नवंबर दिन शुक्रवार को है। शास्त्रोंक्त मान्यता है कि कार्तिक मास इसी एकादशी तिथि को देवता चार माह विश्राम के बाद से जागते हैं। देव उठनी ग्यारस के दिन जो भी व्रत रखकर विधि-विधान तुलसी विवाह एवं भगवान श्री नारायण के शालीगराम रूप की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें एक हजार अश्वमेध यज्ञों का पुण्यफल स्वतः ही प्राप्त होता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होने लगती है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, चार माह विश्राम करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (देव+उठनी) ग्यारस को देवी, देवता सहित स्वयं भगवान नारायण भी जागेंगे। देव उठनी एकादशी के बाद ही सारे शुभ मुहुर्त खुल जायेंगे और शादी-विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश समेत अन्य सभी शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे। देव उठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम से तुलसी विवाह भी किया जाता है। देव उठनी एकादशी के दिन व्रत रखकर विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु की पूजा आराधना करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञों को करने पर जो पुण्यफल मिलता है, वहीं पुण्यफल देव उठनी एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है।

 

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देव उठनी ग्यारस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करते हुए देवताओं का जागरण करें-
मंत्र
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाणमम केशव।

 

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इस विधान से करें तुलसी विवाह पूजन

– भगवान के मन्दिर और सिंहासन को पुष्प और वंदनबार आदि से सजाएं।
– घर के आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं और फिर फल, पकवान, सिंघाड़े, गन्ने आदि चढ़ाकर डलिया से ढक दें और घी का दीपक जलाएं।
– विष्णु पूजा में पंचदेव पूजा विधान अथवा रामार्चनचन्द्रिका आदि के अनुसार श्रद्धापूर्वक पूजन कर धूप-दीप जलाकर आरती करें।
– रात में, सुभाषित स्त्रोत का पाठ, एकादशी व्रत कथा या सत्यनारायण कथा अवश्य करें।

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