गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) के दिन बड़े ही उत्साह के साथ गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं। 10 दिन तक उनकी विधि विधान से पूजा की जाती है और अनंत चतुर्दशी पर आनंदपूर्वक विघ्नहर्ता गणेश जी को विदा किया जाता है। आइए जानते हैं गणपति विसर्जन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहुर्त
एक सितंबर अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन किया जाएगा। होगा। अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन के तीन मुहूर्त हैं। आप अपनी सुविधा और समय अनुसार गणपति का विसर्जन करें। इसमें पहला सुबह का मुहूर्त: 09 बजकर 10 मिनट से दोपहर 01 बजकर 56 मिनट तक। दूसरा, दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 03 बजकर 32 मिनट से शाम को 05 बजकर 07 मिनट तक। तीसररा, शाम को मुहूर्त: शाम को 08 बजकर 07 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक।
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गणेश विसर्जन की पूजा विधि
गणेश विसर्जन की पूजा विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करने बाद ही गणपति की पूजा करें। भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं। अब गणेश विसर्जन के लिए निर्धारित समय के अनुसार मूर्ति विसर्जन की पूजा करें। इसके लिए एक चौड़े पाट को गंगाजल से साफ कर उस पर स्वास्तिक बनाएं और उस पर लाल या पीले वस्त्र बिछा दें। फिर उसे पुष्प आदि से सजा दें।
उसके चार कोनों पर चार सुपारी रख दें। फिर गणेश जी की मूर्ति को पूजा स्थान से उठाकर उस पाट पर रख दें। अब पुष्प, अक्षत्, फल, वस्त्र और मोदक गणपति को चढ़ाएं। दक्षिणा के तौर पर कुछ रुपए रखें। इसके बाद पंच मेवा, चावल, गेहूं, कुछ रुपए आदि की एक पोटली बनाएं और एक डंडे में बांध दें। फिर गणपति बप्पा का जयकारा लगाकर उनको वाहन पर विराजमान कराएं। शांतिपूर्वक नदी, तालाब के किनारे जाएं और गणेश प्रतिमा को वाहन से उतार कर नदी या तालाब के किनारे रख दें।
विसर्जन में समय करें गणेश आरती
गणपति विसर्जन के समय गणेश जी की आरती करें। फिर इन 10 दिनों के दौरान पूजा और उनकी सेवा में कोई कमी रह गई हो तो विघ्नहर्ता से क्षमा प्रार्थना करें। फिर उनको अगले वर्ष भी आने का निमंत्रण दें। अंत में अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष प्रकट कर दें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बप्पा से आशीर्वाद लें। अब सम्मानपूर्वक गणेश जी की प्रतिमा को उठाकर जल में विसर्जित कर दें।