
Hindu Nav Varsh 2080: Why do we celebrates it in Chaitra Month: हिंदु पंचांग के मुताबिक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 22 मार्च 2023 के दिन बुधवार को हिन्दु नव वर्ष 2080 शुरू हो जाएगा। पिंगल नाम के इस संवत्सर के राजा बुध और मंत्री शुक्र रहेंगे। बुध और शुक्र दोनों ही ग्रह आपस में मित्र माने जाते हैं। ऐसे में यह नव संवत्सर कुछ खास रहने वाला है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब किसी देश में राजा और मंत्री के बीच तालमेल शानदार हो, तो वह राज्य बहुत ही तेजी से आगे बढ़ता है, सुख-समृद्धि और विकास की सीढिय़ां चढ़ता है। ऐसे में यह वर्ष भी इसीलिए खास रहने वाला है। ऐसे में सवाल यह है भी है कि आखिर ही नव संवत्सर विक्रम संवत चैत्र के महीने में ही क्यों मनाया जाता है? इसे विक्रम संवत क्यों कहा जाता है? अगर आपके मन में भी यही सवाल हैं, तो पत्रिका.कॉम आपको दे रहा है इन सवालों के जवाब...
दरअसल शास्त्रों में माना गया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। वहीं इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो, महापराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य ने अपने नाम से संवत्सर का प्रारंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से किया। इसलिए इस संवत्सर को विक्रम संवत्सर कहा जाता है। तब से आज तक विक्रम संवत के नाम से जाने जाना वाला हिन्दु नव वर्ष नव संवत्सर 2079 वर्ष पूरे कर चुका है। कल से यानी बुधवार 22 मार्च 2023 से विक्रम संवत 2080 की बेहद शुभ और दुर्लभ संयोगों में शुरुआत होने जा रही है।
यहां जानें चैत्र माह के नवरात्रि से ही क्यों की जाती है शुरुआत
लोगों के मन में अक्सर इस प्रश्न को उठते हुए सुना है कि सालभर में नवरात्रि तो वर्ष में चार बार मनाए जाते हैं। इनमें से दो गुप्त होते हैं और एक चैत्र तथा एक शारदीय नवरात्रि होते हैं। लेकिन हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास के नवरात्र से ही क्यों की जाती है? दरअसल इसका सबसे बड़ा और प्रमुख कारण यह है कि चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जब प्रकृति में वृक्ष और लताएं पल्लवित और पुष्पित होती हैं। इसी माह में भौंरों को मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है। प्रकृति पूरी तरह से अपने नव निर्माण में होती है। इसीलिए चैत्र माह के नवरात्रि से हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।
वहीं सनातन धर्म की बात करें तो प्रत्येक धार्मिक कार्य में सूर्य का प्रमुख स्थान माना गया है तो, वहीं चंद्रमा का स्थान भी उतना ही महत्वपूर्ण माना गया है। जीवन के मुख्य आधार वनस्पतियों को चंद्रमा से ही सोमरस की प्राप्ति होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के लिए चंद्र की कला का प्रथम (परेवा) दिन होता है, इसीलिए हमारे ऋषियों ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन को नव वर्ष के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त समय माना है। भगवान श्रीराम ने चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन ही जन्म लिया था। ऐसे में इस माह का महत्व और भी बढ़ जाता है।
ये भी पढ़ें: Hindu Nav Varsh 2080:नव संवत्सर 2080 का नाम होगा पिंगल, ग्रहों की चाल इसे बनाएगी उत्तम फलदायी, जाने कैसा रहेगा ये साल
Updated on:
21 Mar 2023 01:45 pm
Published on:
21 Mar 2023 01:43 pm
बड़ी खबरें
View Allत्योहार
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
