
Ramdaan 2023: What's the process of Roza, Sehri and Iftar Time list: मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना बेहद पाक या पवित्र माना जाता है। इस पूरे माह में इस्लाम को मानने वाले लोग पूरे माह में रोजे रखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरआन की तिलावत करते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान साल का नौवां महीना माना जाता है। रोजे हमेशा 30 नहीं होते हैं, कभी 29 भी रह जाते हैं। लेकिन यदि 30 दिन के पूरे रोजे होते हैं तो इसे बेहद अच्छा माना जाता है। रोजे पूरे होने के अगले दिन ईद-उल-फितर मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर में चांद का विशेष महत्व माना गया है। इसीलिए चांद देखकर ही रोजे का दिन मुकर्रर किया जाता है और चांद देखकर ही ये सम्पन्न हो जाते हैं और फिर ईद मनाईजाती है। माना जाता है कि इस पाक माह में पैगंबर मोहम्मद सल्लेअलाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थीं। यही कारण है कि इस्लाम में इस महीने को सबसे पवित्र महीना माना गया है।
कल से शुरू हो रहे हैं रमजान
भारत में रमजान की तारीख चांद को देखने के बाद ही शुरू होती है। इस साल रमजान का पवित्र महीना 24 मार्च, शुक्रवार से शुरू हो रहा है। वहीं इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह इस महीने का पहला जुमा यानी शुक्रवार भी होगा। इस्लाम समुदाय के मुताबिक पहले 10 दिन के रोजे रहमत के, अगलेे 10 दिन के रोजे बरकत के और अंतिम 10 दिन के रोजे मगफिरत के रोजे कहलाते हैं। रोजे के समय दिनभर भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत की जाती है। जरूरतमंदों और गरीबों की सेवा की जाती है।
ऐसे शुरू और संपन्न किया जाता है रोजा
एक रोजेदार सुबह फज्र की अजान से पहले के तय समय पर सेहरी करता है। सेहरी का अर्थ है जो भी खाना-पीने का मन है खाएं और फिर रोजे की नीयत कर लें। यानी संकल्प ले लें। इसके बाद फज्र की नमाज अदा करते हैं, कुरान-ए-पाक की तिलावत करते हैं। फिर दिन भर रोजे का संकल्प पूरा करते हुए पांच वक्त की नमाज भी अदा करते हैं। चौथी नमाज मगरिब की नमाज होती है। इसी वक्त की अजान के बाद रोजे की नीयत खोली जाती है और इफ्तार कर रोजा संपन्न किया जाता है। इसे ही इफ्तार का वक्त कहा जाता है। मगरिब की इस नमाज के बाद आप खाना खा सकते हैं। इशा की अजान पांचवीं और अंतिम वक्त की नमाज होती है। इसी नमाज में मस्जिदों में तराबीह भी अदा की जाती है। यह भी नमाज का ही एक हिस्सा है। फिर इसी तरह अगले सभी रोजे पूर्ण किए जाते हैं।
पढ़ते हैं पांच वक्त की नमाज
रमजान के समय इस्लाम समुदाय के लोग पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं। सूरज उगने से पहले की नमाज फज्र कहलाती है। दोपहर के समय जब सूरज सिर पर होता है उस वक्त की नमाज जुहर कहलाती है। शाम को सूरज की स्थिति कुछ नीचे की ओर हो यानी शाम 4 बजे के आसपास की नमाज को असर की नमाज कहा जाता है। शाम को सूरज डूबते समय होने वाली नमाज को मगरिब की नमाज और सूरज डूबने के बाद रात में करीब 8.30 या 9 बजे होने वाली नमाज इशा की नमाज कहलाती है। हालांकि ये नमाजें इस्लाम समुदाय के लोग आम दिनों में भी नियमित रूप से पढ़ते हैं।
यहां पढ़ें रमजान में सेहरी करने और इफ्तार का वक्त
24 मार्च 2023-सुबह 5:01 शाम 06:36
25 मार्च 2023- सुबह 5:00 शाम 06:37
26 मार्च 2023- सुबह 4:59 शाम 06:38
27 मार्च 2023- सुबह 4:57 शाम 06:39
28 मार्च 2023- सुबह 4:56 शाम 06:39
29 मार्च 2023- सुबह 4:55 शाम 06:40
30 मार्च 2023- सुबह 4:53 शाम 06:40
31 मार्च 2023- सुबह 4:52 शाम 06:41
01 अप्रैल 2023- सुबह 4:51 शाम 06:41
02 अप्रैल 2023- सुबह 4:50 शाम 06:42
03 अप्रैल 2023- सुबह 4:48 शाम 06:43
04 अप्रैल 2023-सुबह 4:47 शाम 06:43
05 अप्रैल 2023- सुबह 4:46 शाम 06:44
06 अप्रैल 2023- सुबह 4:45 शाम 06:44
07 अप्रैल 2023- सुबह 4:43 शाम 06:45
08 अप्रैल 2023- सुबह 4:42 शाम 06:45
09 अप्रैल 2023- सुबह 4:41 शाम 06:46
10 अप्रैल 2023- सुबह 4:40 शाम 06:46
11 अप्रैल 2023- सुबह 4:38 शाम 06:47
12 अप्रैल 2023- सुबह 4:37 शाम 06:48
13 अप्रैल 2023- सुबह 4:36 शाम 06:48
14 अप्रैल 2023- सुबह 4:35 शाम 06:49
15 अप्रैल 2023- सुबह 4:33 शाम 06:49
16 अप्रैल 2023- सुबह 4:32 शाम 06:50
17 अप्रैल 202- सुबह 4:31 शाम 06:50
18 अप्रैल 2023- सुबह 4:30 शाम 06:51
19 अप्रैल 2023- सुबह 4:28 शाम 06:52
20 अप्रैल 2023- सुबह 4:27 शाम 06:52
21 अप्रैल 2023- सुबह 4:26 शाम 06:53
22 अप्रैल 2023- सुबह 4:26 शाम 06:53
Updated on:
23 Mar 2023 02:12 pm
Published on:
23 Mar 2023 02:10 pm
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