ऐसे में इस बार Hindu Calender हिंदू कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ मास 25 जून 2021 से शुरु हो गया है, जिसके चलते यह चतुर्थी Sankashti Chaturthi 2021Date इस माह की पहली चतुर्थी रविवार, 27 जून 2021 को पड़ रही है। जो कृष्ण पक्ष में होने के चलते Sankashti Chaturthi June 2021 संकष्टी चतुर्थी कहलाएगी।
वहीं यह तिथि इस बार रविवार के दिन पड़ने के कारण और भी महत्वपूर्ण हो गई है। इस कारण इसे Ravivati Sankashti रविवती संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। ज्योतिष jyotish के अनुसार यह तिथि उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में होता है।
Must Read- श्री गणेश को ऐसे करें प्रसन्न और पाएं मनचाहा आशीर्वाद हिंदू धर्म के अनुसार चतुर्थी का दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। संकष्टी चतुर्थी Sankashti Chaturthi नाम के अनुसार ही संकट हरने वाली मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश के व्रत व पूजन का विशेष विधान है। ऐसे में इस दिन भगवान गणेश lord ganesh का पूजन भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से करते हैं।
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि शुरु- 27 जून 2021- 15:54 बजे से
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 28 जून 2021 – 14:16 बजे तक ध्यान रहे संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने का बाद पूर्ण होता है इसलिए यह व्रत 27 जून को रखा जाएगा।
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय – 27 जून 2021 10 बजकर 03 मिनट पर
आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 28 जून 2021 – 14:16 बजे तक ध्यान रहे संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने का बाद पूर्ण होता है इसलिए यह व्रत 27 जून को रखा जाएगा।
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय – 27 जून 2021 10 बजकर 03 मिनट पर
मान्यता के अनुसार इस दिन विघ्नविनाशक श्री गणेश Ganesh puja पूजा और व्रत करने से प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। वहीं इस बार चतुर्थी तिथि पर रविवती संकष्टी चतुर्थी संयोग बन रहा है, ऐसे में सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए यह दिन बहुत शुभ है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नानदि करके भगवान सूर्यनारायण को प्रणाम कर, उन्हें तांबे के लोटे से जल दें। माना जाता है ऐसा करने से सूर्य संबंधी दोष दूर होते हैं।
Must Read- श्री गणेश को दुर्वा क्यों चढ़ाते हैं? : मान सम्मान बढ़ता है।
: अपयश का योग मिट जाता है।
: संतान से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
: धन की कमी दूर होती है।
: शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है।
: व्यापार में वृद्धि होती है।
: अपयश का योग मिट जाता है।
: संतान से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
: धन की कमी दूर होती है।
: शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है।
: व्यापार में वृद्धि होती है।
इस तिथि को संकट हरने वाली तिथि माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं। वहीं ये भी माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा के साथ विधिपूर्वक भगवान गणेश का व्रत और पूजन करने से जीवन के सभी संकट दूर होने के साथ ही जीवन में सकारात्मकता आती है।
इसके तहत इस दिन यानि चतुर्थी तिथि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें। वहीं इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। स्नानादि के बाद पूजा स्थान की सफाई करके एक लाल रंग का आसन बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर श्रीगणेश के समक्ष घी का दीपक व सुगंधित धूप प्रज्वलित करते हुए सिंदूर से तिलक करें। फिर श्रीगणेश को फल-फूल व मिष्ठान अर्पित करें। मिष्ठान में मोदक या मोतीचूर के लड्डू अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है।
यहां यह ध्यान रखें की गणेश जी को दूर्वा अतिप्रिय है इसलिए इस दिन 21 दूर्वा की गांठे भगवान गणेश के अलग-अलग नामों का उच्चारण करते हुए अर्पित करें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश जी की पूजा से आरंभ होकर चंद्रमा को अर्घ्य देने पर पूर्ण होता है।
इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान देने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए।
यहां यह ध्यान रखें की गणेश जी को दूर्वा अतिप्रिय है इसलिए इस दिन 21 दूर्वा की गांठे भगवान गणेश के अलग-अलग नामों का उच्चारण करते हुए अर्पित करें। संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश जी की पूजा से आरंभ होकर चंद्रमा को अर्घ्य देने पर पूर्ण होता है।
इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान देने के पश्चात व्रत का पारण करना चाहिए।