
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। धन प्राप्ति के लिए यह दिन सबसे उत्तम है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन छोटे से उपाय करने से बड़ी से बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है। इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है।
मान्यता के अनुसार, इसी दिन प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन रास रचाया था। माना जाता है कि इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है। इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को है।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए। धन प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इस दिन रात चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
शरद पूर्णिमा की सावधानियां
शरद पूर्णिमा के दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखने चाहिए। अगर उपवास नहीं रख रहे हैं तो भी इस दिन सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। इस दिन चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा। काले रंग का वस्त्र का प्रयोग करने से इस दिन बचें।
Published on:
09 Oct 2019 12:40 pm
बड़ी खबरें
View Allत्योहार
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
