Published: Nov 10, 2018 11:32:04 am
Saurabh Sharma
आरबीआई ने केंद्र सरकार की ओर से लिक्विडिटी को बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है और उसने अप्रत्यक्ष रूप से एनबीएफसी को बैंक और मनी मार्केट के जरिए लिक्विडिटी सपॉर्ट देने की बात कही है।
केंद्र आैर आरबीआर्इ के बीच इस मामले में बन सकती है सहमति
नर्इ दिल्ली। केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच मौजूदा समय में कर्इ मामलों में तनातनी चल रही है। यहां तक कि गवर्नर के इस्तीफे तक के संकेत मिल चुके हैं। इन सब के बीच जो बात सामने आर्इ है वो दोनों पक्षों के लिए काफी राहत भरी है। वास्तव में नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों की लिक्विडिटी के मसले पर सहमति बनने के आसार दिख रहे हैं। डीबीएस बैंक ने अपने एक लेख में कहा है कि एनबीएफसी के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने पर सहमति बनने के आसार दिख रहे हैं। वहीं नोट में यह भी कहा गया है कि सरकारी बैंक मीडिया और स्मॉल इंटरप्राइजेज की फंडिंग के लिए अच्छा माध्यम नहीं होंगे।
एनबीएफसी को दिया है सपोर्ट
आरबीआई ने केंद्र सरकार की ओर से लिक्विडिटी को बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है और उसने अप्रत्यक्ष रूप से एनबीएफसी को बैंक और मनी मार्केट के जरिए लिक्विडिटी सपॉर्ट देने की बात कही है। आरबीआई सूत्रों की मानें तो एनबीएफसी के लिए कमर्शियल पेपर्स का रोलओवर होना लिक्विडिटी बढ़ने का संकेत है। आपको बता दें कि लिक्विडिटी को लेकर सरकार की चिंता ही केंद्रीय बैंक के साथ उसके मतभेदों की मुख्य वजह है।
दोनों पक्षों में बन रही है राय
दूसरी तरफ सरकार ने आरबीआई से उसके रिजर्व को भी लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए जारी करने की मांग की है। डीबीएस बैंक की इकॉनमिस्ट राधिका राव कहना है कि सरकार और आरबीआई एनबीएफसी को सपोर्ट करने के लिए एक राय पर पहुंच चुके हैं। इस मसले पर दोनों के बीच मतभेद रहा है। मतलब साफ है कि पिछले कुछ दिनों से आरबीआर्इ आैर केंद्र सरकार के बीच जो कुछ चल रहा है उसे सुलझाने के लिए दोनों ही पक्ष झुकने को तैयार हो गए हैं। एेसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में आरबीआर्इ आैर सरकार के बीच बाकी मसले भी सुलझ जाएंगे।