सरकार से सबसे अहम सवाल
सरकार को उम्मीद थी कि यदि प्रत्यक्ष कर का लक्ष्य पूरा होता है तो अप्रत्यक्ष कर पर भी इसका साकारात्म असर देखने को मिल सकता है। चालू वित्त वर्ष में चंद दिन ही बचे होने के कारण अब सरकार को लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर का लक्ष्य पूरा करना आसान नहीं होगा। लक्ष्य से कम प्रत्यक्ष कर जमा होने के कारण अब सरकार पर भी एक अहम सवाल खड़ा हो सकता है। अब सरकार के लिए सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि क्या वो चालू वित्त वर्ष में 3.4 फीसदी के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लक्ष्य को भी पूरा कर पाएगी या नहीं।
कम है दर टैक्स कलेक्शन की दर
इस मामले के संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “प्रत्यक्ष कर के माध्यम से 11.5 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार का कलेक्शन रेट 14.8 फीसदी होना चाहिए। वर्तमान में, टैक्स कलेक्शन की दर इससे भी कम है। 12 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को 20 फीसदी की दर से टैक्स कलेक्ट करना होगा। सरकार के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण बात यह है कि मार्च में ही चालू वित्त वर्ष खत्म हो जाएगा, 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा।”
अंतरिम बजट में सरकार ने रिवाइज किया था लक्ष्य
गौरतलब है कि सरकार ने पहले प्रत्यक्ष कर के माध्यम से 11.5 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में इसे 50 हजार करोड़ रुपए और अधिक बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपए कर दिया था। पिछले सप्ताह ही आर्थिक मामलों के सचित सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा था, “प्रत्यक्ष कर पर, हम लक्ष्य को पूरा करने के रास्ते पर हैं। लेकिन अप्रत्यक्ष कर को लेकर हम शायद यह लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएंगे।”
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