
How many times you can switch in the new and old tax system, know here
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman ) वित्त वर्ष 2020-21 का बजट ( budget 2020 ) पेश करते हुए टैक्स की नई व्यवस्था को विकल्प के तौर पर पेश किया था। उन्होंने उस वक्त कहा था कि देश की जनता अपनी मर्जी से नई और पुरानी व्यवस्था का चुनाव कर सकती है। अगर किसी साल टैक्सपेयर ( Taxpayers ) नई व्यवस्था का चुनाव ( New Tax Regime ) करता है और अगले साल उसे पुरानी टैक्स व्यवस्था ( Old Tax Regime ) समझ आती है तो उसका विकल्प कर सकता है। लेकिन देश में एक ही तरह का करदाता नहीं है। कोई सैलरीड है तो कोई बिजनेसमैन। दोनों के लिए नियम अलग-अलग बनाए गए हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि कौन कितनी बार विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नौकरीपेशा लोगों के लिए नियम
- नए नियमों के अनुसार नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स जब चाहे नई से पुरानी और पुरानी से नई टैक्स व्यवस्था का चयन कर सकते हैं।
- नई टैक्स व्यवस्था में दरें कम हैं, लेकिन इसे चुनने पर छूट और डिडक्शन नहीं मिलेगा।
- नियमों के अनुसार नौकरीपेशा और पेंशनर तभी नई से पुरानी और पुरानी व्यपवस्था में जा पाएंगे जब जब उनकी बिजनेस इनकम ना हो।
इन लोगों के पास कोई ऑप्शन नहीं
- कंसल्टेंसी से आय वाले टैक्सपेयर्स की इनकम बिजनेस के तहत आती है।
- यह सैलरी से इनकम की श्रेणी में नहीं आती है।
- लोग कंसल्टेंट के रूपद में काम करते हैं उन्हें हर साल नई से पुरानी और पुरानी से नई व्यवस्था में स्विच करने की परमीशन नहीं है।
- नौकरीपेशा और पेंशनर के विपरीत ऐसे ैलरीड टैक्सपेयर्स जिनकी फ्रीलांस एक्टीविटीज से भी इनकम होती है उनके पास हर साल स्विच करने का ऑप्शन नहीं है।
कारोबारियों के पास एक बार मौका
- बिजनेस से इनकम करने वाले टैक्सपेयर्स के पास नई या पुरानी व्यवस्था में किसी एक को चुनने का सिर्फ एक मौका होगा।
- आसान भाषा में कहें तो कारोबारी इस बार नई व्यवस्था के टैक्स देते हैं और उसके अगले साल पुरानी व्यवस्था में लौटते हैं तो फिर वो चेंज नहीं कर पाएंगे।
-अगर किसी व्यक्ति की भविष्य में बिजनेस से इनकम रुक जाती है तो उनके पास हर साल नई और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था को चुनने का विकल्प रहेगा।
Updated on:
02 Jul 2020 03:54 pm
Published on:
02 Jul 2020 03:52 pm
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