
Loan moratorium will increase or not today will be decision in RBI MPC
नई दिल्ली। आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( reserve bank of india ) की मौद्रिक समीक्षा बैठक का आखिरी दिन है। 4 जुलाई से लगातार आरबीआई एमपीसी ( RBI MPC ) की बैठक चल रही है। ऐसे में आम लोगों को दो चीजों पर सबसे ज्यादा नजर होगी। पहला क्या आम लोगों को फिर से राहत देते हुए रिजर्व बैंक लोन मोराटोरियम एक्सटेंड ( Loan Moratorium Extend ) करेगा? क्या आरबीआई रेपो दर ( Repo Rate ) में कटौती करेगा? अंतिम सवाल यह है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग ( Loan Restructuring ) को किस तरह के ऐलान की होने की संभावना है? आपको बता दें कि ब्याज दरों में कटौती को लेकर कुछ खास संभावनाएं नहीं दिखाई दे रही हैं। वहीं देश के दो बड़े बैंक लोन स्ट्रक्चरिंग की बात को बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं लोन मोराटोरियम एक्सटेंड करने को लेकर आरबीआई से गुहार लगाई हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आरबीआई एमपीसी किस तरह के फैसले लेती है।
नीतिगत ब्याज दरों में कटौती होगी या नहीं
जानकारों की मानें तो आरबीआई एमपीसी नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0 से 25 आधार अंकों कीकटौती देखने को मिल सकती है। वैसे अधिकतर जानकारों का कहना है बीते साल फरवरी से लेकर ब्याज दरों में 2.50 फीसदी की कटौती देखने को मिल चुकी है। जिसमें से मार्च और मई के महीने में हुई बैठक में 1.15 फीसदी की कटौती देखने को मिली है। ऐसे में मुश्किल लग रहा है कि रेपो दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना है। एसबीआई से लेकर कई बैंकों की ओर से नए कर्ज को 0.72 फीसदी से 0.85 फीसदी तक सस्ता किया है। वहीं स्टेट बैंक ने रेपो लिंक्ड कर्ज पर 1.15 फीसदी की कटौती की है।
मोराटोरियम पर फैसला
वहीं दूसरी ओर सबसे अहम है मोराटोरियम एक्सटेंशन। देश के दो सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दोनों प्रमुखों की ओर से लोन मोराटोरियम ना बढ़ाने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो देश के बैंकों के एनपीए में इजाफा हो जाएगा। बैंकों की हालत काफी खस्ता हो चुकी है। जिस पर आरबीआई गवर्नर की ओर से विचार करने को कहा था। वहीं देश की वित्त मंत्री ने जरूर मोराटोरियम बढ़ाने के संकेत दिए थे, लेकिन अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इस पर आरबीआई की एमपीसी में अच्छी बहस होने की संभावना देखने को मिल रही है। जानकारी के अनुसार आरबीआई एमपीसी दिसंबर 2020 तक लोन मोराटोरियम एक्सटेंड कर सकती है। आपको बता दें मार्च से मई तक आरबीआई ने पहला लोन मोराटोरियम दिया था। उसके बाद दूसरा मोराटोरियम 1 जून से 31 अगस्त तक का था।
लोन रिस्ट्रकचरिंग का मामला
जानकारों की मानें तो आरबीआई एमपीसी में में कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर सकारात्मक फैसला होने की उम्मीद है। कोरोना वायरस ने जिस तरह से देश की इकोनॉमी को प्रभावित किया है, उसे देखते हुए कर्जदारों के साथ-साथ बैंक भी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में कर्ज की अदायगी आसान नहीं रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद इस बात के संकेत दिए थे कि इस मामले में सैद्धांतिक सहमति बन गई है। जानकारों की मानें तो ऐसा होता है तो देश के इतिहास में सबसे बड़ा कारपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग होगा, जिसके तहत कंपनियों को बकाया कर्ज के भुगतान में सहूलियत दी जाएगी। इससे पहले वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान कंपनियों को इस तरह की सुविधा दी गई थी।
Updated on:
06 Aug 2020 11:38 am
Published on:
06 Aug 2020 08:06 am
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