
मोदी सरकार सालाना 10 लाख रुपए की नकद निकासी पर लगा सकती है टैक्स
नई दिल्ली।पूर्ण बजट 2019 आने में कुछ दिन बचे हैं। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ऐसी संभावना की तलाश कर रही है जिसमें नकद निकासी से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिले। वास्तव में सरकार एक ऐसे प्रस्ताव को लाने पर विचार कर रही है, जिसमें सालाना 10 लाख नकद निकालने पर टैक्स लगाया जा सके। सरकार की मंशा है कि वो ज्यादा से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे सके और कागजी मुद्र का उपयोग कम से कम हो सके। साथ काले धन पर लगाम लगाई जा सके।
जानकारी के अनुसार
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सभी हाई वैल्यू कैश विदड्रॉल के लिए आधार को अनिवार्य करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। अगर आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य हो जाता है तो बड़ी रकम निकालने वाले लोगों की पहचान करने और उनके टैक्स रिटर्न का मिलान आसानी से हो सकेगा। वास्तव में आधार और ओटीपी इस बात को सुनिश्चित करेगा कि आधार संख्या का दुरुपयोग न हो।
सरकार का मानना है कि...
सरकार के अनुसार देश के अधिकतर लोगों और व्यवसायों को 10 लाख रुपए से अधिक की सालाना नकदी की जरुरत नहीं है। बजट से पहले इस योजना पर भी विचार कर लिया गया है। वैसे अभी इस प्लान को अंतिम रूप नहीं किया गया है। सरकार इस मामले में पूरी तरह से स्पष्ट है कि मध्यम और गरीबों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो और उन पर किसी तरह का बोझ ना बढ़े। आपको बता दें कि मनरेगा लाभार्थी को आधार प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है, लेकिन 5 लाख रुपए तक नकद निकालने वाले के लिए यह बाध्यता नहीं है।
फ्री हुए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन
आरबीआई ने हाल ही में अपनी मौद्रिक समीक्षा की बैठक में ऐलान किया है कि बैंक हृश्वस्नञ्ज और क्रञ्जत्रस् पर शुल्क नहीं लेंगे। इसके अलावा कार्ड के उपयोग पर लगने वाने शुल्क की भी समीक्षा होगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग की पड़ताल करने में लंबा रास्ता तय करना होगा।
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Published on:
10 Jun 2019 12:07 pm
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