संसाधनों के अभाव में की कड़ी मेहनत
अनिता कुमारी झारखंड के रांची के काके प्रखंड की रहने वाली हैं। अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप में उनके चयन से अनिता के गांव चारीहुजीर को चर्चा में ला दिया है। बता दें कि उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी और आज उनकी सफलता रंग लाई। अनीता की मां (आशा देवी) बताती हैं कि एक फुटबॉलर बनने के लिए उनकी बेटी को जो मिलना (पोषण) चाहिए था, वह देना उनके बस की बात नहीं थी। अनीता की मां बताती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को माड़ भात देकर ही समय बिताया और अनीता ने माड़ भात (चावल और उसका पानी) से ही मजबूती पाई और दुनिया में अपनी पहचान बनाई।
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Umran Malik को टी-20 World Cup में चुना जाना चाहिए- पूर्व भारतीय दिग्गज ने की मांग अनिता कुमारी झारखंड के एक बेहद ही गरीब परिवार से आती हैं और उनकी पिता की शराब की लत की वजह से मां को दिन भर काम करना पड़ता है। अनिता कुमारी का परिवार झारखंड के जिस गांव में रहता है उस गांव में उनका कच्चा मकान है और बरसात के दिनों में वह बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं। दैनिक मजदूरी करने वाली उनकी मां के पास इतने भी पैसे नहीं है कि वह अपनी पक्की छत बनवा सकें।
इस मिट्टी के घर में अनिता कुमारी द्वारा जीते गए कई पदक और मेडल रखे हैं जिस पर मिट्टी की धूल छाई हुई है। अनीता की मां बताती है कि हमारे घर में मीटर नहीं है लेकिन फिर भी बिजली का बिल 15,000 से ज्यादा का आया है अनीता के पिता की शराब की लत के कारण जीवन जीने में उन्हें काफी कठिनाई होती है। लेकिन फिर भी अनीता की मां ने अपनी पांच बेटियों को पाल पोस के ना सिर्फ बड़ा किया बल्कि तीन बेटियों की शादी भी कर दी। (Source-News18)
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