आईएसएल क्लबों की ओर से यूथ प्रोग्राम चलाने और आईएसएल नियमों के मुताबिक टीम में कम से कम तीन अंडर-21 खिलाड़ियों को शामिल करने की अनिवार्यता के कारण हाल-फिलहाल में कई युवा खिलाड़ी सामने आए हैं। इनमें से कई ने राष्ट्रीय टीम में भी जगह बनाई है। आईएसएल क्लबों के साथ दुनिया के नामी पूर्व खिलाड़ियों को बतौर कोच जुड़ने से भारतीय फुटबॉलर्स का स्किल भी बढ़ा है।
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बुनियादी सुविधाएं बढ़ीं और पैसा भी आया
आईएसएल की वजह से फुटबॉल की बुनियादी सुविधाओं में भी विकास हुआ है। एक आईएसएल क्लब साल में तकरीबन 35 लाख रुपए मैदान पर खर्च करता है। इसके अलावा हर साल 15 लाख रुपए से अधिक प्रैक्टिस पिच पर खर्च किए जाते हैं। आईएसएल का आयोजक फुटबॉल स्पोर्ट्स डवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) ने 2014 में स्टेडियम को बेहतर करने के लिए करीब 21.5 करोड़ रुपए खर्च किए। इतना ही नहीं, आईएसल के आने के बाद भारतीय फुटबॉल में पैसा भी आया और युवाओं का रुझान फुटबॉल को करियर बनाने की तरफ हुआ। साल 2014 में देश में सिर्फ 260 खिलाड़ियों के पास पेशेवर कॉन्ट्रैक्ट था, जो अब 550 खिलाड़ियों के पास है।
देश में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला फुटबॉल टूर्नामेंट
आईएसएल भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला फुटबाल टूर्नामेंट है। 2011 में देश में 12.1 करोड़ लोग फुटबॉल मैच देखते थे तो वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 49.8 करोड़ तक पहुंच गई। यह आईपीएल और प्रो-कबड्डी लीग के बाद सबसे अधिक देखा जाने वाला टूर्नामेंट है। 2014-15 में जहां नौ लाख दर्शकों ने स्टेडियम जाकर मैच देखा था तो वहीं 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 20 लाख हो गई और हर साल आईएसएल की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है।