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आईएसएल ने किया भारतीय फुटबॉल का कायापलट, देसी खिलाड़ियों में भी मैसी जैसा बनने की चाहत जगी

locationनई दिल्लीPublished: Jul 09, 2019 09:28:15 pm

Submitted by:

Mazkoor

ISL के आने से भारतीय फुटबॉल पर पड़ा सकारात्मक प्रभाव
भारतीय फुटबॉल टीम स्तर ऊंचा उठा, फीफा रैंकिंग में भी आया उछाल

Indian football team

आईएसएल ने किया भारतीय फुटबॉल का कायापलट, देसी खिलाड़ियों में भी मैसी जैसा बनने की चाहत जगी

नई दिल्ली : भारत में एक साथ दो फुटबॉल टूर्नामेंट आई-लीग (I-league) और इंडियन सुपर लीग (ISL) चलते हैं। आई-लीग के क्लबों का मानना है कि एआईएफएफ (AIFF) दोहरा रवैया अपना रहा है और वह आई-लीग के साथ सौतेला व्यवहार अपना रहा है। इसी वजह से आई-लीग खेलने वाले छह क्लब मोहन बागान, क्वेस ईस्ट बंगाल, चर्चिल ब्रदर्स एफसी, गोकुलम केरला एफसी, मिनर्वा पंजाब एफसी और आइजोल एफसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर भारतीय फुटबॉल को बचाने का आग्रह किया है। उन्होंने एक आयोग का गठन कर एआईएफएफ की कार्यशैली की जांच की मांग की है। लेकिन आंकड़ें यह बताते हैं कि 2014 में आईएसएल शुरू होने के बाद से भारतीय फुटबॉल का स्तर लगातार ऊंचा उठा है और फुटबॉल जगत में भारत का कद बढ़ा है। यहां तक कि आईएसएल में 21 साल से कम उम्र के तीन खिलाड़ियों को खेलाने की बाध्यता के कारण कई प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी सामने आ रहे हैं। अवसर मिलने के कारण युवाओं में लियोनेल मैसी और रोनाल्डो जैसा नाम कमाने और स्किल डवलप करने की चाहत भी जगी है। आईएसएल से कितनी प्रतिभाएं सामने आ रही है, इसका एक प्रमाण तो यही है कि इंटरकॉन्टिनेंटल कप में भाग ले रही भारतीय टीम में शामिल सभी 25 खिलाड़ी आईएसएल क्लबों से खेलते हैं। आईएसएल शुरू होने के बाद भारतीय फुटबॉल टीम (Indian football team) की फीफा रैंकिंग (FIFA Rankings) में भी सुधार आया है और इस वक्त वह 101वें स्थान पर है, जबकि 2015 में भारत की रैंकिंग 173 थी।

युवा खिलाड़ियों को मिला मौका

आईएसएल क्लबों की ओर से यूथ प्रोग्राम चलाने और आईएसएल नियमों के मुताबिक टीम में कम से कम तीन अंडर-21 खिलाड़ियों को शामिल करने की अनिवार्यता के कारण हाल-फिलहाल में कई युवा खिलाड़ी सामने आए हैं। इनमें से कई ने राष्ट्रीय टीम में भी जगह बनाई है। आईएसएल क्लबों के साथ दुनिया के नामी पूर्व खिलाड़ियों को बतौर कोच जुड़ने से भारतीय फुटबॉलर्स का स्किल भी बढ़ा है।

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बुनियादी सुविधाएं बढ़ीं और पैसा भी आया

आईएसएल की वजह से फुटबॉल की बुनियादी सुविधाओं में भी विकास हुआ है। एक आईएसएल क्लब साल में तकरीबन 35 लाख रुपए मैदान पर खर्च करता है। इसके अलावा हर साल 15 लाख रुपए से अधिक प्रैक्टिस पिच पर खर्च किए जाते हैं। आईएसएल का आयोजक फुटबॉल स्पोर्ट्स डवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) ने 2014 में स्टेडियम को बेहतर करने के लिए करीब 21.5 करोड़ रुपए खर्च किए। इतना ही नहीं, आईएसल के आने के बाद भारतीय फुटबॉल में पैसा भी आया और युवाओं का रुझान फुटबॉल को करियर बनाने की तरफ हुआ। साल 2014 में देश में सिर्फ 260 खिलाड़ियों के पास पेशेवर कॉन्ट्रैक्ट था, जो अब 550 खिलाड़ियों के पास है।

देश में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला फुटबॉल टूर्नामेंट

आईएसएल भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला फुटबाल टूर्नामेंट है। 2011 में देश में 12.1 करोड़ लोग फुटबॉल मैच देखते थे तो वहीं 2018 में यह संख्या बढ़कर 49.8 करोड़ तक पहुंच गई। यह आईपीएल और प्रो-कबड्डी लीग के बाद सबसे अधिक देखा जाने वाला टूर्नामेंट है। 2014-15 में जहां नौ लाख दर्शकों ने स्टेडियम जाकर मैच देखा था तो वहीं 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 20 लाख हो गई और हर साल आईएसएल की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है।

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