इस बदलाव को समझाने और लागू करने के लिए गरियाबंद जिला पंचायत के सभाकक्ष में शनिवार को कार्यशाला हुई। इसमें विधायक जनक ध्रुव, पालिका अध्यक्ष रिखीराम यादव, कलेक्टर बीएस उइके और एसपी निखिल राखेचा शामिल हुए। कार्यशाला में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स ने बताया कि अभी तक ब्रिटिश कालीन पंजीयन अधिनियम 1908 और भारतीय स्टाप अधिनियम 1899 के पुराने नियम चल रहे थे। इससे आम जनता को कई तरह की दिक्कतें आती थीं। अब सरकार ने इन्हें आधुनिक, सरल और पारदर्शी बनाने का फैसला लिया है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी की पहल पर यह बदलाव किए गए हैं।
विधायक जनक ध्रुव ने इन सुधारों को जनता के लिए बड़ी राहत और भ्रष्टाचार रोकने में मददगार बताया। कलेक्टर उइके ने कहा कि यह बदलाव
छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से इन सुधारों का प्रचार-प्रसार करने की अपील की। इस दौरान जिला पंचायत उपाध्यक्ष लालिमा ठाकुर समेत अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और आम लोग मौजूद रहे।
नई नीति में क्या कुछ बदला? बिंदुवार समझें…
- अब पंजीयन के समय खरीदार, विक्रेता और गवाहों की पहचान आधार नंबर से होगी। इससे फर्जीवाड़ा रुकेगा।
- अब कोई भी खसरा नंबर डालकर पहले के लेनदेन की जानकारी ऑनलाइन पा सकता है।
- संपत्ति खरीदने से पहले जरूरी भारमुक्त प्रमाणपत्र अब ऑनलाइन ही मिल जाएगा।
- स्टांप और रजिस्ट्री फीस अब एकसाथ ऑनलाइन चुकाई जा सकेगी। इसके लिए डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूपीआई का इस्तेमाल होगा।
- रजिस्ट्री की हर जानकारी और कॉपी वॉट्सऐप पर मिलेगी। फीडबैक और शिकायत भी यहीं से होगी।
- रजिस्ट्री दस्तावेज डिजीलॉकर में स्टोर होंगे, ताकि जरूरत पड़ने पर आसानी से निकाले जा सकें।
- रजिस्ट्री दस्तावेज खुद-ब-खुद ऑनलाइन तैयार हो जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया पेपरलेस होगी।
- शपथ पत्र या अनुबंध पत्र जैसे गैर-पंजीयन दस्तावेज भी अब ऑनलाइन स्टांप समेत तैयार किए जा सकेंगे।
- लोग अब घर बैठे ही रजिस्ट्री करवा सकेंगे। आधार प्रमाणीकरण से यह प्रक्रिया पूरी होगी।
- रजिस्ट्री के तुरंत बाद जमीन का नामांतरण भी स्वत: हो जाएगा। बी-1 खसरा जैसे दस्तावेज भी अपडेट हो जाएंगे।