उल्लेखनीय है कि आम दिनों में रोजाना करीब दो लाख वाहन गाजीपुर बॉर्डर के रास्ते गाजियाबाद से दिल्ली की सीमा में प्रवेश करते हैं। पिछले 10 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के कारण ये वाहन दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं। इन वाहनों को लंबी दूरी तय कर भोपुरा, खोड़ा, कौशाम्बी, ईडीएम माल और ज्ञानी बार्डर के रास्ते दिल्ली जाना पड़ रहा है। इस कारण इन रास्तों पर वाहनों के दबाव से जाम की समस्या खड़ी हो जाती है। लंबी दूरी और जाम के कारण इन वाहन चालकों की जेब पर भी ईंधन का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। इसके साथ ही समय की भी अधिक बर्बादी हो रही है।
सिंघु बार्डर पर भी लंबे समय से किसान आंदोलन चल रहा है। बॉर्डर बंद होने के कारण हरियाणा के रास्ते चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह रोहतक रोड स्थित टीकरी बॉर्डर से आवागमन बंद पड़ा है। लोग टीकरी बार्डर के स्थान पर झाड़ौदा रोड और निजामपुर से आवागमन को मजबूर हैं। लंबी दूरी तय करने के चलते यहां भी वाहन चालक परेशान हैं। जबकि जयसिंहपुर खेड़ा-शाहजहांपुर बार्डर पर दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम होने से ट्रैफिक व्यवस्था बेहद खराब है। हाईवे जाम होने के कारण भारी वाहनों को भी शहर के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है। इस कारण शहर की सड़कें भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद नरम पड़े टिकैत सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि हाईवे किसानों ने जाम नहीं किए, बल्कि पुलिस ने खुद बैरिकेडिंग कर जाम लगाया है। टिकैत ने यह भी कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहे तो वे लोग दिल्ली के रास्ते खुलवा सकते हैं। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद कहीं न कहीं राकेश टिकैत नरम पड़े हैं। अब आने वाले समय में किसान आंदोलन पर निश्चित तौर पर इसका असर पड़ेगा। प्रशासनिक अधिकारी भी इस पर कोई बड़ा एक्शन ले सकते हैं।
शांतिपूर्ण विरोध करना हमारा संवैधानिक अधिकार : भाकियू युवा मोर्चा सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भाकियू युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह का कहना है कि किसान तो दिल्ली जाना चाहता था, लेकिन बेरिकेड्स लगाकर दिल्ली की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया गया। उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा सरकार किसानों की नहीं सुन रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ही शांतिपूर्ण विरोध करना उनका संवैधानिक अधिकार है। कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून उनकी मांग है, लेकिन सरकार उनकी दोनों ही मांगों को नहीं मान रही है। ऐसे में किसानों के पास सड़क पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि अब किसान पूरी तरह से एकजुट है और अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। जब तक इनकी मांगे पूरी नहीं होंगी वह बॉर्डर से हटने वाले नहीं हैं।