
गाजियाबाद. लोहियानगर के लाल क्वार्टर में गुरुवार को अवैध निर्माण ढहाने गए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के प्रवर्तन दस्ते को जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा। मामला उस वक्त और तूल पकड़ गया जब एक मंदिर के पुजारी की बेटी ने विरोध स्वरूप अपने हाथ की नस काट ली। वह बीसीए की छात्रा है। जिसके बाद जीडीए का प्रवर्तन दस्ता अवैध निर्माण को एक दिन में खाली करने के निर्देश देने के बाद वहां से चला गया।
बता दें कि लोहियानगर में लाल क्वार्टर के पास शिव चण्डी मंदिर है। शिव आराधना समिति इस मंदिर का संचालन करती है। समिति के सचिव और मंदिर के मंहत कृष्ण गोपाल हैं। 2100 वर्ग मीटर के इस क्षेत्र में मंदिर के अलावा गोशाला और सड़क किनारे कुछ दुकानें भी हैं। 16 जनवरी को जीडीए ने उन्हें नोटिस भेजकर जगह खाली करने के लिए कहा था। गुरुवार को जीडीए का प्रवर्तन दल निर्माण को ढहाने के लिए पहुंचा था। जहां उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
सुबह डीएम से मिले दोपहर को बुलडोजर पहुंचा
मौके पर मौजूद रितु शर्मा ने बताया कि उन्हें 16 जनवरी को नोटिस मिला था। इसके सबंध में गुरुवार सुबह वे जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी से मिलने भी गए थे। डीएम ने उन्हें आश्वासन भी दिया था कि कोई भी अनावश्यक कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन दोपहर को ही जीडीए का बुलडोजर उनके आशियाने को उजाड़ने पहुंच गया। उन्होंने बताया कि उक्त स्थान पर पिछले 70 सालों से मंदिर है। जिसपर उनके परिवार के सभी सरकारी दस्तावेज बने हैं। इसी संपत्ति पर उनके पुरखे बसे हुए थे। ऐसे में यह अवैध निर्माण कैसे हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मामला कोर्ट में है फिर भी जीडीए ने किसी की एक ना सुनी और बुलडोजर से सब ढहा दिया। गोशाला में 100 से भी ज्यादा गाय हैं। कार्रवाई में गायों को भी चोट पहुंची है। इसके अलावा उनकी बेटी छाया जो कि शहर के एक निजी कॉलेज में बीसीए की छात्रा है वह इतनी विचलित हो गई कि उसने अपने हाथ ही नस काट ली। छात्रा का शुक्रवार को एक पेपर भी है, लेकिन इस अफरा तफरी में अब शायद ही वह पेपर दे पाए। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जीडीए का तर्क 1969 में ही ली जा चुकी है जमीन
जीडीए के सहायक अभियंता प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि उक्त स्थान जिसका क्षेत्रफल 2100 वर्ग मीटर है। इसका अधिग्रहण 1969 में धारा-4 के अंतर्गत किया गया था। तब यह जगह गांव बैंझा की थी। इसमें मुआवजा भी दिया जा चुका है, लेकिन अभी तक वहां से निर्माण नहीं हटाया गया है। यहां मंदिर, गोशाला और दुकानें अवैध रूप से चल रही हैं। इस सबंध में प्राधिकरण के खिलाफ वाद भी दायर किया गया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। गुरुवार को जीडीए का प्रवर्तन दल दुकानों को हटाने के लिए गया था। कुछ दुकानें खाली थीं, जिनमें गाय बंधी थी। निर्माण ढहाने के दौरान कुछ महिलाओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। इसी बीच एक लड़की ने अपने हाथ की नस काटने की कोशिश की। कानून व्यवस्था खराब ना हो इसलिए जीडीए ने उन्हें एक दिन का समय दिया है।
Published on:
19 Jan 2018 10:42 am
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