
जानिए क्यों मेनका गांधी ने भाजपा की मेयर से कहा- बंदरों का कराया जाए डीएनए टेस्ट
गाजियाबाद। शहर में बंदरों के हमले की कई शिकायतें मिलने के बाद अब उन्हें पकड़ने का काम चल रहा है। मंगलवार को इसको लेकर हंगामा हो गया। नगर निगम के जिस ठेकेदार को बंदर पकड़ने का काम सौंपा गया है, उसने 70 बंदरों को पकड़कर एक ही पिंजरे में रख दिया था। इससे एक बंदर की मौत हो गई जबकि कुछ घायल हो गए। इसके बाद पीपुल फॉर एनिमल्स (पीएफए) और कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। वहीं, इसकी शिकायत केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी तक पहुंच गई। उन्होंने मेयर आशा शर्मा को फोन कर दिया और उनसे बंदरों को डीएनए टेस्ट कराने को कहा। हालांकि, मेयर ने इससे असमर्थता जता दी।
शहर में है बंदरों का आतंक
दरअसल, गाजियाबाद में बंदरों का खासा आतंक फैला हुआ है। इसकी शिकायत लोग आए दिन नगर निगम अधिकारियों से कर रहे थे। इसको ध्यान में रखते हुए मथुरा निवासी ठेकेदार को रखा गया। उसने 70 बंदरों को पकड़कर एक पिंजरे में नंदग्राम में रख दिया। पिंजरे में बंदर आपस में लड़ते-झगड़ते रहे। इससे एक की मौत हो गई जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए। मंगलवार को इसकी सूचना कुछ हिंदू संगठनों के अलावा पीएफए के कार्यकर्ताओं को मिली तो सभी लोग मौके पर इकट्ठा हो गए और जमकर हंगामा किया।
मेनका गांधी ने किया मेयर को फोन
इसकी सूचना पीएफए के सदस्यों ने मेनका गांधी को दी। इसका संज्ञान लेते हुए मेनका गांधी ने गाजियाबाद की महापौर आशा शर्मा से इसके बारे में स्पष्टीकरण मांगा और तत्काल प्रभाव से पकड़े गए बंदरों को छोड़ने के लिए कहा। उनहोंने आशा शर्मा से कहा कि बंदर अपने परिवार और झुंड के साथ ही रहते हैं। एक झुंड के बंदरों को एक ही पिंजरे में रखा जाए। अगर उसमें दूसरे ग्रुप का बंदर आ जाता है तो झगड़ा होता है। इसलिए पहले बंदरों का डीएन टेसट कराया जाए और फिर उन्हें जंगल में छोड़ा जाए। इस मामले में मेयर आशा शर्मा का कहना है कि बंदर बहुत खूंखार होते हैं। उन्हें बड़ी मुश्किल से पकड़ा गया है। इनका डीएनए टेस्ट कराया जाना संभव नहीं है। फिलहाल उनको ब्रजघाट छुड़वा दिया गया है।
कई जगह मिली थी बंदरों के हमले की शिकायत
महापौर आशा शर्मा ने बताया कि शहर में कई जगह ऐसी शिकायत मिल रही थी कि अधिक गर्मी होने के कारण बंदर लोगों पर हमला कर रहे हैं। कई लोग घायल भी हो चुके हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मथुरा से टीम बंदर पकड़ने के लिए बुलाई गई थी। इसने करीब 70 बंदर पकड़े थे। टीम ने उनको एक पिंजरे में बंद किया गया था। उस पिंजरे में 150 बंदर बंद करने की क्षमता है। उनका कहना है कि बंदरों के अलग-अलग गुट होने के कारण कुछ आपस में लड़ने लगे, जिस कारण एक बंदर की मौत हो गई थी। इसमें तीन बंदर घायल हो गए। तीनों को इलाज के लिए भेज दिया गया है।
पीएफए के सदस्यों पर उठाए सवाल
इस बीच कुछ संगठनों और पीएफए के सदस्यों ने बंदर पकड़े जाने का विरोध भी किया था। इसके बाद मेनका गांधी द्वारा पकड़े गए बंदरों को तत्काल प्रभाव से छोड़ने के लिए कहा गया। इस पर बंदरों को बृजघाट पर छोड़ दिया गया। मेयर ने कहा कि गाजियाबाद में पीएफए के कुछ कार्यकर्ता अपनी मनमानी करना चाहते हैं। वे यह चाहते हैं कि नगर निगम यदि आवारा पशुओं और कुत्ते-बंदरों के खिलाफ कोई कदम उठाए तो पहले उनकी इजाजत ले या उनके द्वारा कराया जाए।
600 रुपये लेते थे एक कुत्ते के
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी शहर के आवारा कुत्ते पकड़ने का काम पीएफए के सदस्यों के पास ही था। एक कुत्ता पकड़ने के 600 रुपये दिए जाते थे। जब से उन्होंने महापौर का पद संभाला है, तभी से इनका यह टेंडर कैंसिल कर दिया गया। इस बात से पीएफए के सदस्य काफी नाराज हैं। इसी वजह से अब इन बंदरों को पकड़ने के लिए मथुरा से एक टीम बुलाई गई थी।
मेनका गांधी पर भी साधा निशाना
उन्होंने कहा कि जिस तरह से मेनका गांधी बंदर पकड़े जाने का कड़ा विरोध कर रही हैं, उनको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि यदि खूंखार बंदर आम लोगों को या उनके बच्चों को बुरी तरह घायल कर देते हैं तो इसका क्या समाधान है। उसका समाधान भी नगर निगम को बताना चाहिए।
Published on:
13 Jun 2018 01:00 pm
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