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बेटों के पास मकान और गाड़ी सबकुछ है पर मां के लिए जगह नहीं, पढ़िए अम्मा जी की दर्दभरी कहानी

लाचार मां को देख ट्रेनी आईपीएस ऑफिसर ने सामाजिक संस्था के जरिए दिलाई मदद, पुलिसकर्मियों ने खिलाया कई बार खाना

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वैभव शर्मा, गाजियाबाद। मां अपने में एक ऐसा शब्द है, जो हर भाव से पूर्ण है, लेकिन भागदौड़ और आधुनिक जिंदगी में लोगों के लिए इस शब्द के मायने बदल गए है। हर माता-पिता की इच्छा होती है कि बुजुर्ग होने पर उनके बेटा और बेटी सहारा बनें, लेकिन आज के समाज में कुछ बच्चे बुजुर्गाें को बोझ समझने लगे हैं। हाल ही में दादरी में पोते के जन्मदिन पर करोड़पति पिता को उसके बेटे ने घर से बाहर निकाल दिया था। अब इंदिरापुरम में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। इसमें हरियाणा के रोहतक की रहने वाली महिला के पति का स्वर्गवास होने के बाद उनके बेटे ने उन्हें बाहर निकाल दिया।]

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ट्रेनी आईपीएस ने ऐसे की मदद

गाजियाबाद के इंदिरापुरम के किसान चौक के पास में रोहतक निवासी बुजुर्ग सरोज (60) बेहोशी की हालत में मिली थी। ट्रेनी आईपीएस अपर्णा गौतम ने महिला को देखकर प्राथमिक उपचार दिलाया। इसके बाद में उन्होंने प्रेरणा सेवा संस्थान को इसके बारे में सूचित किया। प्रेरणा सेवा संस्थान के अधिकारियों ने सूचना मिलने के बाद में बुजुर्ग को अपनी सुपुदर्गी में ले लिया और अब वे ही परिवार की तरह उनकी देखभाल कर रहे हैं।

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मारपीट के बाद बेटे ने किया बेघर

बुजुर्ग महिला सरोज के दो बेटे संदीप और प्रदीप रोहतक में रहते हैं। दोनों ही शादीशुदा हैं। बुजुर्ग बड़े बेटे प्रदीप के पास में रह रही थी। पीड़िता के मुताबिक, उनके लखपति बेटों के पास मकान, दुकान और गाड़ी सब कुछ है लेकिन फिर भी उनका बेेटा प्रदीप आए दिन उनके साथ में मारपीट करता था। पति का स्वर्गवास होने के बाद एक दिन गुस्से में आकर उन्हें घर से बाहर कर दिया। इसके बाद अब वह उधर-उधर भटकती रही और कब बेहोश हो गईं, पता ही नहीं चला। उन्होंने रोते हुए कहा कि जब वे छोटे बच्चे थे तब उन्होंने बड़े लाड़ प्यार से पाला लेकिन अब उन जिगर के टुकड़ों ने ही उन्हें सड़क पर फेंक दिया। इसके बाद वह किसी तरह इंदिरापुरम तक पहुंचीं और यहां सड़क पर रह रही थीं। करीब 70 वर्षीय सरोज इससे ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रही थी।

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बेटों ने पहचाने से भी कर दिया इंकार

प्रेरणा सेवा संस्थान के संचालक आचार्य तरुण मानव के मुताबिक, महिला अपने घर का पूरा पता नहीं बता पा रही थी, इसलिए उन्होंने रोहतक की अपनी सहयोगी संस्था जन सेवा संस्थान की मदद से परिवार को तलाश लिया। इसमें वहां के स्थानीय सांसद ने भी सहयोग किया। जब वे उनके घर पर पहुंचे और उनके बेटे को मां का हाल सुनाया तो उसने उन्हें रखने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने भी उसके घर पर फोन पर बात की तो इस बार बेटे और बहु ने उन्हें पहचाने से ही इंकार कर दिया।

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जला हुआ था हाथ

तरुण के मुताबिक, जब अम्मा जी उन्हें मिली थी उनका एक हाल जला हुआ था। वहां पर गश्त करने वाले पुलिसकर्मियों ने उन्ेहं बताया कि वह उन्हें करीब दस दिन से सड़क पर देख रहे थे। उन्होंने कई बार उनको दवा और खाना भी दिया। फिर ट्रेनी आईपीएस अपर्णा गौतम की नजर उन पर पड़ी, जिसके बाद उनको फोन किया गया। अब उनका संसथा में पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

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