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डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में इन दिनों फंगल इंफेक्शन के मरीजों का ही उपचार हो रहा है। अभी तक उनके पास 19 ब्लैक फंगस (Black Fungus) और 7 व्हाइट फंगस के मरीज आए हैं यानी अभी तक कुल 26 मरीज फंगस के आ चुके हैं, जिनका ऑपरेशन किया जा चुका है। इसके अलावा उनके पास एक मरीज ऐसा आया है, जिसमें ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस पाई गई है। उन्होंने बताया कि अभी तक लिटरेचर में येलो फंगस का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन जिस तरह के सिम्टम्स नजर आए हैं, वह येलो फंगस को दर्शाते हैं।
इसलिए है ज्यादा खतरनाक डॉक्टर बीपी त्यागी ने बताया कि ब्लैक फंगस आंख के रास्ते से दिमाग की तरफ जाती है या नाक की तरफ से फेफड़े की तरफ जाती है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से उपचार के लिए इंजेक्शन उपलब्ध होने चाहिए, वह अभी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय पर इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएं तो मरीज के उपचार में आसानी होती है। उन्होंने दावा किया है कि पीला फंगस अधिक खतरनाक है, क्योंकि यह घाव भरने नहीं देता है।
अचानक बिगड़ी मरीज की तबीयत बता दें कि जिस मरीज में डॉक्टर ने येलो फंगस का दावा किया है, वह पहले कोरोना संक्रमित हुए थे। मरीज के बेटे अभिषेक ने बताया कि पिताजी को पहले
कोरोना हुआ था। लंबे इलाज के बाद उन्हें आराम भी हुआ, लेकिन अचानक ही उन्हें खांसी के साथ खून और पेशाब में खून आने पर यहां लाया गया। यहां जांच के बाद डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि उनके पिता में ब्लैक, व्हाइट और येलो तीनों फंगस पाई गई हैं। फिलहाल उनका उपचार जारी है।