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‘धुर विरोधी’ या ‘पुराने दोस्त’? एयरपोर्ट पर अखिलेश और केशव की मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल

पटना एयरपोर्ट पर यूपी की सियासत के दो धुर विरोधी जब आमने-सामने आए तो माहौल ही बदल गया। विधानसभा में तल्ख़ बहस करने वाले अखिलेश और केशव की मुस्कुराहट ने सबको हैरान कर दिया। वीडियो अब सोशल मीडिया पर छा गया है।

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Akhilesh

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव फोटो सोर्स पत्रिका

राजनीति की दुनिया में कहा जाता है। यहां न तो दोस्ती स्थायी होती है। न दुश्मनी। कुछ ऐसा ही नजारा मंगलवार को पटना एयरपोर्ट पर देखने को मिला। जब उत्तर प्रदेश के दो धुर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अचानक आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच हुई हंसी-मजाक और मुस्कुराहटों का यह छोटा सा पल अब सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले मंगलवार को प्रचार का शोर थमने के बाद कई दिग्गज नेता वापस लौट रहे थे। इसी दौरान पटना एयरपोर्ट पर केशव मौर्य और अखिलेश यादव का सामना हुआ। यूपी विधानसभा में तल्ख बहस और तीखी टिप्पणियों के बाद यह दोनों नेताओं की पहली मुलाकात थी। हालांकि इस मुलाकात का माहौल बिलकुल अलग था।दोनों हंसते हुए एक साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलते नजर आए।

वीडियो वायरल होने के बाद यूजर्स की प्रतिक्रिया

यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। यूजर्स ने अपनी-अपनी राय जाहिर करनी शुरू कर दी। किसी ने इसे ‘राजनीतिक परिपक्वता’ बताया, तो किसी ने तंज कसते हुए लिखा—“राजनीति में कोई स्थायी विरोधी नहीं होता।” वहीं कुछ लोगों ने मजे लेते हुए लिखा—अखिलेश भैया भी केशव जी के पीछे मुस्कुरा रहे हैं।

सियासी मंचों पर तीखी नोक झोक, मंच के नीचे मुस्कुराहट

राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य दोनों पिछड़े वर्ग से आते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक-दूसरे के बड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। विधानसभा सत्र के दौरान दोनों कई बार तीखे शब्दों में भिड़ चुके हैं। पिछले मई में सदन में दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीच-बचाव करना पड़ा था। दिलचस्प बात यह है कि सियासी मंचों पर भले ही दोनों नेता एक-दूसरे पर हमला करने का कोई मौका न छोड़ते हों, लेकिन निजी मुलाकात में उनका यह ‘मित्रवत अंदाज़’ राजनीति की उस सच्चाई को उजागर करता है। जहां मंच पर तलवारें खींची जाती हैं। मंच के नीचे मुस्कुराहटें बांटी जाती हैं।