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Gonda News : बाराही देवी मंदिर में कब्जियत को लेकर बढ़ी रार, अयोध्या का कौन बाबा है, सूत्रधार?

Gonda News : प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाराही देवी मंदिर में कबजेदारी को लेकर मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पूरे मामले का सूत्रधार अयोध्या का एक बाबा बताया जा रहा है। मामले में स्थगन आदेश का हवाला देकर पुलिस ने मुख्य पुजारी को बाहर कर दिया है।

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Gonda News : मां बाराही देवी मंदिर पर कबजेदारी को लेकर रार, शुरू हो गई है। इस कबजेदारी का सूत्रधार अयोध्या का एक बाबा बताया जा रहा है। आरोप है कि बाबा ने मां बाराही देवी के नाम से एक ट्रस्ट बनाकर न्यायालय में एक वाद प्रस्तुत कर पूजा पाठ में अर्चन डालने का हवाला न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया।

यूपी के गोंडा जिले से दक्षिण बेलसर ब्लॉक के मुकुंदपुर ग्राम सभा में स्थित बाराही देवी का मंदिर अपने दिव्य आभामंडल से जहां पूरे प्रदेश में भक्तजनों को आकर्षित करता है। वहीं इस समय मंदिर में पूजा पाठ और कब्जेदारी को लेकर सुर्खियों में है। चल रहे घटनाक्रम पर पुजारियों के अधिवक्ता रामशंकर वर्मा ने बताया कि अयोध्या मे रहने वाले एक बाबा ने बाराही देवी तीर्थ के नाम से एक ट्रस्ट बनाकर मुख अर्चक उमरी पूरे सुब्बा की रहने वाली रामादेवी को बना दिया। इसके बाद ट्रस्ट की तरफ से गोंडा न्यायालय में दीवानी दायर कर मंदिर के मुख्य पुजारियों को अराजक तत्व घोषित कर पूजा अर्चना करने में बाधा डालने का आरोप लगाया। जिस पर न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन गोंडा ने स्थगन आदेश देते हुए मंदिर परिसर में आरोपी बनाए गए पूर्व पुजारी राघव दास तथा योगेंद्र दास तथा मेला प्रबंधकर्ता रामपाल सिंह को पूजा अर्चना में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करने तथा मंदिर स्थल पर कोई भी निर्माण न करने का आदेश पारित किया। और आगामी 15 सितंबर को सभी पक्षों को न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का समन किया। बुधवार को न्यायालय से भेजे गए कोर्ट कमिश्नर को लोगों के भारी जन आक्रोश का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से कोर्ट अमीन को बिना पैमाइश किये ही वापस जाना पड़ा।

स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध

न्यायालय की आदेश का हवाला देते हुए थानाध्यक्ष संजीव कुमार वर्मा ने तत्काल मेला प्रबंधकर्ता रामपाल सिंह तथा पुजारी राघव दास तथा योगेंद्र दास को मेला परिसर में ना फटकने की हिदायत दी। जबकि न्यायालय ने ऐसा कुछ भी थानाध्यक्ष को निर्देश नहीं दिया था। जबकि इन पुजारियों की मेला परिसर में दुकान भी थी। परंतु पुलिस ने उसे भी जबरन बंद करवा दिया। पुलिस की इस एक तरफा कार्यवाही को लोग संदेह की नजर से देख रहे हैं। तथा असंतोष व्यक्त कर रहे है।

क्या है बाराही मंदिर का इतिहास

क्षेत्र वासियों के अनुसार मंदिर की प्राचीनता को लेकर कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं। लोग इसे सूकरखेत पसका के बाराह भगवान से जुड़ा हुआ मानकर बाराही देवी के रूप में मान्यता देते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि पहले यह उत्तरी भवानी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध था। तथा इस मंदिर के चारों तरफ बरगद की विशाल जटाएं स्थित है। जो प्राचीनता का एहसास दिलाती है। मुकुंदपुर और बरौली मे बरगदी स्टेट की काफी जमीनें हैं। बरगदी के सर्वराकार कुंवर अजय प्रताप सिंह ने मेला क्षेत्र सहित सभी जमीनों को अपने रिश्तेदार रामपाल सिंह को प्रबंधकर्ता बना रखा है। लगभग 60 वर्ष पूर्व से इस मंदिर की पूजा अर्चना उमरी के मालीपुरवा के रहने वाले बदल माली तथा कल्लू माली संयुक्त रूप से करते थे। उसे समय भी कुछ लोगों ने मंदिर पर कब्जा करने का प्रयास किया था। जिसका मामला तहसील तरबगंज में कई वर्ष चला। बाद में तहसील न्यायालय के निर्णय के अनुसार दोनों पुजारियों को पूजा-अर्चना करने तथा आय के लिए एक दुकान आवंटित करने का आदेश दिया था। तब से दोनों पुजारियों के परिजन आज तक क्रमशः सप्ताहवार बारी-बारी से पूजा अर्चना करते आ रहे थे। रामपाल सिंह बताते हैं यह अभी तक यहां निर्बाध रूप से पूजा अर्चना चली आ रही थी। परंतु कुछ वर्षों से 84 कोसी परिक्रमा कर रहे एक बाबा की नजर इस मंदिर पर पड़ी और उसे हथियाने के लिए मालीपुरवा की ही रहने वाली रामादेवी को मोहरा बनाकर योजनाबद्ध तरीके से पूरे मंदिर प्रांगण को विवादित बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि रामा देवी द्वारा बनाए गए बाराही देवी तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में भी अयोध्या के बाबा का नाम है। इस ट्रस्ट में फैजाबाद के कई लोग शामिल हैं।

थानाध्यक्ष संजीव वर्मा ने बताया बुधवार को कोर्ट कमीशन आया था। परंतु सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए और कोर्ट अमीन को विरोध का सामना करना पड़ा मैंने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया। परंतु उन्होंने कमीशन करने से इनकार कर दिया।

क्षेत्राधिकार बोले- कोर्ट अमीन को दी गई सुरक्षा परिस्थितियों माकूल ना देख कमीशन से किया इनकार

क्षेत्राधिकार संजय तलवार ने बताया कोर्ट अमीन को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था दी गई थी। परंतु परिस्थितियां माकूल न देखकर उन्होंने कमीशन करने से इनकार कर दिया।