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कुएं की खुदाई के दौरान निकली थी मां नव दुर्गा की प्रतिमा, आज भी निकलती है जलधारा

तुलसीपुर के एक गांव में हुए कुएं की खुदाई के दौरान नवदुर्गा की प्रतिमा निकली थी। आज भी प्रतिमा से जल की धारा निकलती है।

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Balrampur news

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बलरामपुर जिले का अपना ही पैराणिक महत्व है।

यहां पर दुनिया भर में स्थापित 51 शक्तिपीठों में से देवीपाटन शक्तिपीठ का 28वां स्थान है। शक्तिपीठ के मंदिर से महज एक किमी दूर एक और दुर्गा मंदिर है। यहां पर मां का स्वरूप पिंडी के रूप में स्थापित है।

प्रतिमा से हर मौसम में निकलता नीर

गर्भगृह में मूर्ति के पास से हर मौसम निकलता नीर (पानी) न केवल श्रद्धालुओं के लिए अचरज का विषय का है।

बल्कि यहां से निकलने वाले नीर को लगाने से लोगों के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।

मंदिर का मुख्य द्वार IMAGE CREDIT: Patrika original

नव दुर्गा के खंडित स्वरूप की होती पूजा

यूपी के बलरामपुर जनपद के तुलसीपुर स्थित ग्राम परसपुर करौदा में मां नव देवी का मंदिर स्थापित है। यहां माता की 9 मूर्तियां खंडित स्वरूप में पूजा की जाती है। मंदिर में करीब 4 फिट गहरे स्थान पर यह प्रतिमाएं स्थापित हैं।

इसके पीछे एक अलग ही रहस्य है। मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। लेकिन सन 1244 में नेपाल नरेश के द्वारा जीर्णोद्धार कराया गया था। मांं नवो देवी के दर्शन पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।

संत मजलिस नाथ ने कराई थी, खुदाई

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सैकड़ों वर्ष पूर्व यह वन क्षेत्र हुआ करता था। इसी स्थान पर मजलिस नाथ नाम के एक योगी अपने शिष्यों के साथ रहकर मां शक्ति की आराधना में लीन थे। उसी दौरान एक दिन उन्होंने स्वप्न देखा कि एक महिला इस स्थान पर कुआं खुदाई करने की बात कह रही थी। उन्होंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। लेकिन अगली रात्रि पुनः वही स्वप्न दिखाई पड़ने पर अपने शिष्यों के साथ इसी स्थान पर खुदाई करने लगे, खुदाई करते समय थोड़ी गहराई पर तेज आवाज हुई, और उनका फावड़ा किसी शिला से टकरा गया था।

पिंडी के रूप में विराजमान नव दुर्गा की प्रतिमा IMAGE CREDIT: Patrika original

शिला से निकल रहा था खून

पुजारी व संत मजलिस नाथ योगी के आदेश पर शिष्यों ने शिला को बाहर निकला तो देखा कि शिला से खून बह रहा था। ये शिला आदिशक्ति की 9 अलग-अलग प्रतिमाएं थी, जो खंडित अवस्था में थी। इसके बाद माता की प्रतिमाओं को उसी गहरे स्थान पर स्थापित करा दिया गया। आज भी नवो देवी के स्वरूप में गहरे स्थान पर विराजमान है।

यह स्थान नवो देवी के नाम से विख्यात है।

नवदुर्गा का मंदिर IMAGE CREDIT: Patrika original

यह अनसुलझा रहस्य आज भी बरकरार

मंदिर में स्थापित प्रतिमा का एक अनसुलझा रहस्य आज भी बना हुआ है। यहां स्थापित प्रतिमा के कान से गर्मियों के मौसम में हल्की सी जलधारा रिसती रहती है। जिसकी वजह से उस गहरे स्थान पर पानी भर जाता है। कभी-कभी पानी की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है। जिससे गर्भ गृह पानी से लबालब भर जाता है। उस दौरान माता के दर्शन पर रोक लगा दी जाती है।