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विकास के साथ ही हाईटेक भी हो रहा है शहर, डिजिटल बुक में मकान से लेकर नाली तक का रिकार्ड

योगी सरकार आने के बाद दशकों से उपेक्षित पड़े गोरखपुर के विकास को पंख लग गए। वर्तमान में हजारों करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं। इसी तरह नगर निगम भी पूर्णतया हाईटेक बनने की ओर हैं। इससे एक क्लिक पर शहर के सभी मकान , सड़क, नाली आदि स्क्रीन पर दिखेंगे।

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नगर निगम क्षेत्र के सभी मकानों की तरह सभी सड़कों और बड़े, छोटे व मझोले नाला-नालियों को यूनिक पहचान मिलेगी। प्रशासनिक विभाग समेत आम नागरिक तक, पोर्टल पर सर्च कर सड़कों एवं नालियों के बारे में सभी जरूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे।

मसलन सड़क का मालिकाना हक किस विभाग का है? सड़क कब बनी थी? कब उसे पुन: बनाया जाना है? आदि। एक दीवार से दूसरे दीवार के बीच सड़क, नाली, ग्रीन बेल्ट, फुटपाथ समेत सब कुछ का डाटा बेस रिकार्ड होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार गोरखपुर नगर निगम समेत सूबे के सभी 15 नगर निगम में, 'रिमोट सेंसिंग एवं एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) लखनऊ उत्तर प्रदेश हाई रिज्युलेशन सेटेलाइट के जरिए मैपिंग कर रहा है। आरएसएसी के सीनियर साइंटिस्ट आलोक सैनी बताते हैं कि गोरखपुर समेत 06 नगर निगमों के सभी सड़कों, नाला एवं नालियों का सेटेलाइट से मैपिंग किया जा चुका है।

वर्तमान में गोरखपुर में मैपिंग के डाटा का सत्यापन और छूटे हुए डाटा का कलेक्शन जारी है। दावा किया कि एक साल में सभी 15 नगर निगमों में मैपिंग कर सड़क एवं नालियों को यूनिक आईडी नम्बर देने का काम पूरा हो जाएगा।

फिलहाल परियोजना वैज्ञानिक अतुल वर्मा, सुशांत कुमार, सुगम कुमार यादव और अवधेश कुमार सेटेलाइट डाटा के सत्यापन के साथ नए डाटा की फीडिंग के कार्य में जुटे हुए हैं। शनिवार को उन्होंने महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में जरूरी आंकड़े जुटाए। बताया कि दो महीने में नम्बर कोडिंग और डाटा कलेक्शन का काम पूरा कर लेंगे।

नगर निगम क्षेत्र में निजी सड़कों के अलावा विभिन्न सरकारी विभागों की सड़कें होती है। आम नागरिक जान ही नहीं पाते हैं कि किस सड़क के लिए किस विभाग को शिकायत करनी है। अक्सर शिकायत मिलती है कि एक ही सड़क पर दो-दो विभाग निर्माण कार्य जाने-अनजाने में कर देते हैं। बाद में मामला सामने आने पर दोनों ही विभागों की किरकिरी होती है। तीसरे, कब कौन सी सड़क एवं नाली का पुर्न निर्माण करना है, इसकी सटीक सूचना नहीं मिल पाती है। इसी तरह स्ट्राम ड्रेन में, मेन ड्रेन, प्राइमरी ड्रेन, सेकेंडरी ड्रेन और टर्सियरी ड्रेन मिलती है। इनकी यूनिक आईडी के साथ सभी डाटा आने से भविष्य में इंजीनियरिंग संबंधी कार्यों और डीपीआर बनाने में सुविधा होगी। यह तय करना भी आसान होगा कि पहले किस सड़क और नाला निर्माण को प्राथमिकता में लिया जाए।

नगर आयुक्त गोरखपुर

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के मुताबिक नगर निगम गोरखपुर समेत प्रदेश के सभी 15 नगर निगम में सड़कों और नालियों की सेटेलाइट मैपिंग एवं यूनिक पहचान दी जाएगी। गोरखपुर से इसकी शुरूआत हो गई है। इस कदम से भविष्य में सड़कों एवं नालियों को लेकर कार्य योजना बनाने में जहां मदद मिलेगी, वहीं एक क्लिक में सड़कों और नालियों से संबंधित सभी डेटा सामने आ जाएगा।