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पुस्तक महोत्सव में आज कहानियों, नाटकों और कवि सम्मेलन का दर्शकों ने लिया आनंद, विजयी प्रतिभागियों को मिला पुरस्कार

गोरखपुर विश्वविद्यालय में इन दिनों NBT की तरफ से पुस्तक महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है, बुधवार को पांचवां दिन संपन्न हुआ जिसमें कई विधाओं का दर्शकों ने आनंद लिया।

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फोटो सोर्स: पत्रिका, पुस्तक महोत्सव में कलाकारों का प्रदर्शन

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित गोरखपुर पुस्तक महोत्सव के पांचवें दिन बाल मंडप में कहानियों, नए कौशल और रचनात्मकता का माहौल रहा! 14 स्कूलों के लगभग 500 विद्यार्थियों ने इस उत्सव में भाग लिया। दिन की शुरुआत रंजीता सचदेवा के नेतृत्व में "कहानी के पंखों पर" नामक इंटरएक्टिव कहानी सत्र से हुई। यहां छोटे बच्चों ने अपनी कल्पना की उड़ान भरते हुए एक जादुई दुनिया की यात्रा की। यहां, वे एक राजकुमारी और जैक से मिले। जिसे ‘जैक द फूल’ कहा जाता है। इस कहानी के माध्यम से बच्चों ने सीखा कि कैसे चतुराई और त्वरित विवेक से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के बारे में दी गई जानकारी

अगला सत्र, "फ्रॉम वेस्ट टू वॉउ", बिसलेरी के शुभम मिश्रा द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और रीसाइक्लिंग के महत्व के बारे में सिखाया गया। इसके बाद 2 नवंबर को आयोजित बुक कवर डिज़ाइन वर्कशॉप के विजेताओं के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया। यहां 15 सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को एनबीटी, इंडिया द्वारा प्रमाण पत्र और पुस्तकों से सम्मानित किया गया। बाल मंडप की आज की गतिविधियों का समापन बच्चों के द्वारा प्रस्तुत लोक नृत्य से हुआ। इसमें सात स्कूलों के विद्यार्थियों ने विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां के लोक नृत्य का सुंदर प्रदर्शनों के साथ मंच पर जादू बिखेरा। जिसमें उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक सभी प्रांतों को एक मंच पर ला दिया।

नाटक और कवि सम्मेलन का दर्शकों ने लिया आनंद

सांस्कृतिक संध्या का आगाज सांस्कृतिक संगम द्वारा प्रस्तुत नाटक "बाप बड़ा न भैय्या सबसे बड़ा रूपइया " के साथ हुई। जिसे विजय कुमार जी ने लिखा थाl व्यंग्यात्मक और मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत इस नाटक ने दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। इस नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन मानवेंद्र त्रिपाठी ने किया। इसके बाद आयोजित कवि सम्मेलन में देश के जाने-माने कवि शंभू शिखर के साथ पद्मिनी जी, राजेश अग्रवाल जी, कमल अग्नियां जी और आशीष कवि गुरु ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं। विभिन्न स्वरों की इन कविताओं ने की समसामयिक मुद्दों पर विचारोत्तेजक तंज किए।


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