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दीपक गुप्ता हत्याकांड : SP पत्थर खाते रहे, पुलिस की इज्जत बचाते रहे…तस्कर को मार डालने पर उतारू थी हिंसक भीड़, पिपराइच थाना पुलिस से क्यों भड़की है जनता

गोरखपुर में छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने पिपराइच थाना पुलिस कर सीधे तस्करों से सांठगांठ का आरोप लगा रहे हैं। उनका सीधा कहना है कि मवेशी लादकर ले जाते थे और शिकायत करने पर पिपराइच पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करती रही।

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Up news, gorakhpur

फोटो सोर्स: पत्रिका, छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के बाद आक्रोशित भीड़

सोमवार की देर रात पशु तस्करों द्वारा अगवा किए गए छात्र दीपक की नृशंस हत्या के बाद जनता पुलिस पर बुरी तरह भड़की थी, ग्रामीणों ने उस रात एक पशु तस्कर को दबोच कर मंदिर में बंद कर दिया था इसी दौरान जब दीपक की लाश मिलने की सूचना मिली तब तो भीड़ संयम खो दी और तस्कर को बुरी तरह पीटने लगी।

पत्थरों की बरसात के बीच तस्कर को बचाने में SP हुए कामयाब

गांव में बवाल की सूचना मिलते ही SP नॉर्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव फोर्स के साथ पहुंचे और तस्कर को किसी तरह भीड़ के चंगुल से निकालने के लिए खुद बीच में पहुंच गए, उग्र भीड़ इस दौरान पत्थरों की भी बरसात करती रही। इस गुत्थम गुत्था में कई पत्थर SP को लगे लेकिन उसकी परवाह किए बिना उन्होंने तस्कर को भीड़ के चंगुल से निकलवाकर पुलिस की कस्टडी में लिए। तस्कर की जान बचाने में उन्हें काफी चोटे आई।

पिपराइच थाना पुलिस पर रह रह कर भड़क रही है जनता

घटना के बाद अब क्षेत्र की जनता में खुलेआम पिपराइच थाना पुलिस से उपजा रोष दिख रहा है, ग्रामीण इस दुखद घटना का जिम्मेदार सीधे स्थानीय पिपराइच थाना प्रभारी, चौकी इंचार्ज, अन्य पुलिसकर्मियों की लापरवाही बता रहे है, उनके मुताबिक पुलिस के अधिकारियों को दिग्भ्रमित कर एक तरह से पिपराइच थाने में अलग ही राज चल रहा है। पिपराइच क्षेत्र में लगातार गौ तस्करों की उपस्थिति चल रही थी, इसकी सूचना भी चौकी और थाने पर दी जा रही थी लेकिन थाना पुलिस से इससे कोई सरोकार नहीं था।

थाने पर गंभीर मामले भी किए जाते रहे हैं नजरअंदाज

तीन सप्ताह पहले भी पशु तस्करों ने चीनी मिलकर्मी को मारने का प्रयास किये था। बीते 26 अगस्त की रात लगभग दस बजे के लगभग पिपराइच चीनी मिल के सुरक्षा प्रभारी एवं इसी थाना क्षेत्र के हरखापुर निवासी दुर्गेश तिवारी को पशु तस्करों ने पिकअप से कुचलने का प्रयास किया था। वह किसी तरह बच गए। तस्करों ने उन्हें दौड़ाकर पीटा भी था, इस मामले में भी लेकिन उनका केस आसानी से दर्ज नहीं हुआ। दो दिन बाद दर्ज भी हुआ तो मामले का हल्का कर दिया गया।

मातहतों की लापरवाही ...अधिकारियों के सामने खड़ी कर रही मुसीबत

पिपराइच में कई जगह रात में पशु तस्कर आराम से आते थे और चले जाते थे, दुर्भाग्य से होनहार छात्र दीपक इन पशु तस्करों के हिंसा का शिकार हो गया। दीपक के मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद यह मामला अब ज्वलंत बन चुका है, मातहतों की लापरवाही और वसूली की कीमत बड़े पुलिस अधिकारियों को चुकानी पड़ रही है। दीपक हत्याकांड सिर्फ अधिकारियों को अंधेरे में रखने के कारण हुआ है। अधिकारी तब तक असफल होते रहेंगे जब तक राजनीतिक दबाव में थाना और चौकियों पर चार्ज देते रहेंगे।


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