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एमपी में किसान ने कलेक्ट्रेट में गटका जहर, 4 साल से है परेशान

mp news: दबंगों ने कर्ज के बदले जमीन पर किया बलपूर्वक कब्जा, परिवार भुखमरी की कगार पर...।

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farmer drinks poison at collectorate (source-patrika)

mp news: मध्यप्रदेश के गुना में अपनी जमीन पर दबंगों के कब्जे से परेशान और चार साल तक न्याय न मिलने से हताश एक किसान ने कलेक्ट्रेट में कीटनाशक दवा पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। किसान को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। म्याना थाना क्षेत्र के सागोरिया गांव निवासी अर्जुन सिंह ढीमर (केवट) मंगलवार को जनसुनवाई में अपनी जमीन वापस दिलाने की गुहार लेकर आए थे। किसान का कहना था कि बीते चार साल से उनकी फरियाद किसी अफसर ने नहीं सुनी। इससे दबंगों की हिम्मत बढ़ गई और उन्होंने कर्ज के बदले खेती के लिए दी गई पूरी जमीन पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया।

दबंगों ने जमीन पर किया कब्जा

पीड़ित अर्जुन ढीमर के मुताबिक खेती की जमीन छिन जाने से परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है। जब जनसुनवाई में कोई सुनवाई नहीं हुई तो निराशा में आकर कलेक्ट्रेट में ही जहर पी लिया। यह देखते ही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। तत्काल ड्यूटी पर मौजूद जवानों ने किसान को पकड़कर पानी पिलाया और उल्टी कराने की कोशिश की। इसके बाद किसान को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया। हैरान करने वाली बात यह रही कि जहर खाने के बाद अर्जुन एम्बुलेंस से अकेले ही अस्पताल पहुंचे। कलेक्टोरेट से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उनके साथ नहीं गया। काफी देर बाद नायब तहसीलदार आरती गौतम अस्पताल पहुंचीं और पुलिस के समक्ष किसान के बयान दर्ज किए।

कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहे दबंग

अर्जुन ढीमर ने 28 अक्टूबर 2025 को पुलिस अधीक्षक को दिए आवेदन में अपनी पूरी व्यथा बताई थी। उन्होंने उल्लेख किया था कि वह वृद्ध हैं। दमा रोग से पीड़ित हैं। उनका एक पुत्र भी विकलांग है। इलाज के लिए पैसे की जरूरत पड़ी थी, तब गांव के लालाराम से 1 लाख रुपए लिए थे और उसे 10 साल के लिए तीन बीघा जमीन (सर्वे क्र. 315/17/2, रकबा-0.836 हेक्टर) जोतने के लिए दी थी। लेकिन, दबंग ने 1 लाख की जगह 3 लाख रुपए लिख लिए और अब जमीन से कब्जा छोड़ने तैयार नहीं है। समय सीमा बीत जाने के बाद दबंग लालाराम, हरिचरण और हरिओम धाकड़ ने उनकी स्वामित्व की जमीन पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया और उन्हें खेती करने से रोक रहे हैं। पीड़ित किसान ने न्यायालय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड गुना के न्यायालय में स्वत्व घोषणा एवं स्थाई निषेधाज्ञा के लिए वाद पत्र प्रस्तुत किया था। इस पर न्यायालय ने 19 सितंबर 2025 को स्थगन आदेश भी पारित किया था, लेकिन दबंग न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रहे थे।