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पिता के संघर्ष से मिला बेटे को इंसाफ, SDOP और थाना प्रभारी के खिलाफ FIR दर्ज, जानिए मामला

न्यायालय के आदेश पर गुना एसडीओपी और तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी सप्रे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। नाबालिग बच्चे के साथ एसडीओपी ने की थी अभद्रता। पिता के संघर्ष से बेटे को मिला इंसाफ।

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पिता के संघर्ष से मिला बेटे को इंसाफ, SDOP और थाना प्रभारी के खिलाफ FIR दर्ज, जानिए मामला

जानकारी के अनुसार, साल 2017 में 23 अगस्त को सीताराम कॉलोनी के निवासी अशोक रघुवंशी का पुत्र नितिन (14) बली बाबा रोड पर अपने दोस्तों के साथ नई कलेक्ट्रेट के सामने होमवर्क की कॉपी लेने गया था। उसी समय एसडीओपी बीपी तिवारी अपने वाहन से गुजर रहे थे। बच्चों के वाहन सड़क पर खड़े थे, जिन्हें हटाने के लिए जब कहा गया तो बच्चों ने सॉरी बोलकर वाहन वहां से हटा लिए थे। लेकिन, इसके बावजूद तिवारी वाहन से उतरकर आए और बच्चों को गालियां देना शुरू कर दिया। यही नहीं एक बच्चे नितिन के साथ मारपीट भी कर दी। तिवारी यहीं नहीं रुके उन्होंने बच्चे को चांटा मारते हुए पुलिया की तरफ ले गए। मारपीट के दौरान नाबालिग के कान में भी चोट आई, जिससे उसकी सुनने की क्षमता कम हो गई।

मामले की जानकारी लगते ही नितिन के पिता भी मौके पर आ गए। उन्हें देखते ही एसडीओपी तिवारी उनसे भी अभद्रता करने लगे। उनसे कहा कि, तुम्हारा बच्चा लड़कियां छेड़ता है। दोनों को उठाकर थाने में बंद कर देंगे। उसके पिता ने कहा कि, बच्चा बहुत छोटा है, वो ऐसा नहीं करता। इसपर तिवारी भड़क गए और जमकर गालियां देने लगे। घटना के अगले दिन अशोक अपने बेटे के साथ कैंट थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज करने के लिए कहा, लेकिन तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी आशीष सप्रे ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इधर, अस्पताल में बच्चे का इलाज कराया गया। जांच कराने पर रिपोर्ट में सामने आया कि, बच्चे की सुनने की क्षमता कम हो गई है।

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एसपी से लेकर आईजी तक नहीं हुई सुनवाई

खास बात यह है कि, एक पिता ने अपने बच्चे को इंसाफ दिलाने एसपी से लेकर आईजी तक गुहार लगाई, लेकिन फिर भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बावजूद अशोक ने हार नहीं मानी और उन्होंने न्यायालय की शरण ली। यहां प्राइवेट इस्तगासा लगाकर कार्रवाई की मांग की। सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दोनों पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई जेएमएफसी भूपेंद्र सिंह कुशवाह ने की।

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