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दादी की उम्र की रामकली का पोते की उम्र भोलू पर आया द‍िल, ल‍िव इन में रहने के लिए बनवाए दस्तावेज

दादी की उम्र की 67 वर्षीय महिला रामकली को एक पोते की उम्र के 28 वर्षीय भोलू से प्यार हो गया है।

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दादी की उम्र की रामकली का पोते की उम्र भोलू पर आया द‍िल, ल‍िव इन में रहने के लिए बनवाए दस्तावेज

कहते हैं प्यार का कोई रूप या उम्र नहीं होती, ये किसी भी हो सकता है और इसमें उम्र का फर्क भी आड़े नहीं आता। ऐसे ही एक अनोखे प्यार की कहानी सामने आई है मध्य प्रदेश के ग्वालियर से। यहां दादी की उम्र की 67 वर्षीय महिला रामकली को एक पोते की उम्र के 28 वर्षीय भोलू से प्यार हो गया है। यही नहीं, दोनों लिव इन में भी रह रहे हैं। दोनों ने सालभर पहले अपने लिव इन रिलेशन को दस्तावेज की मान्यता देने के लिए नोटरी भी करा ली है।

वैसे तो ऐसा कहा जाता है कि, लिव इन रिलेशन के मामले आम तौर पर बड़े शहरों में आमतौर पर देखे जाते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में भी लिव इन का खुमार लोगों में बढ़ने लगा है। चंबल में लिव इन रिलेशन का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां दादी की उ्मर की 67 साल की रामकली का अपने पोते की के 28 वर्षीय भोलू पर दिला आ गया है। यही नहीं, दोनों ने लिव इन में एक साथ रहने के लिए दस्तावेज भी नोटराइज्ड करा लिए हैं। मुरैना जिले के कैलारस के रहने वाले 67 साल की रामकली को 28 साल के भोलू से प्यार हो गया। खास बात ये है कि, दोनों एक दूसरे से प्यार तो करते हैं, लेकिन शादी के बंधन में नही बंधना चाहते।

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इसलिए नोटराइज्ड कराया अपना लिव इन रिलेशन

यही कारण है कि, दोनों ने लिव इन रिलेशन में रहकर जीवन गुजारने का फैसला किया है। इसी के चलते रामकली और भोलू ग्वालियर के जिला अदालत पहुंचे और दोनों ने लिव इन रिलेशन की नोटरी कराई। रामकली और भोलू का कहना है कि, दोनों एक - दूसरे से इतना प्रेम करते हैं कि, एक दूसरे से जुदा होकर नहीं रह सकते। वहीं, कानूनी तौर पर दोनों बालिग हैं। इसलिए अपनी स्वेच्छा से एक दूसरे के साथ रह रहे हैं। अपने रिलेशन को नोटराइज्ड कराने के पीछे उनका उद्देश्य है कि, साथ रहने के चलते भविष्य में उनके जीवन से जुड़ा कोई विवाद न हो। इसलिए अपने रिश्ते को पंजीबद्ध करा रहे हैं।

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ऐसे दस्तावेज का कोई औचित्य नहीं- एडवोकेट

इस संबंध में ग्वालियर के वकील दिलीप का मीडिया से बातचीत में कहना है कि, आजकल कई महिलाएं और पुरुष लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं। ऐसे में कई बार उनके बीच मतभेद होने लगते हैं। जब लिव इन जोड़े की जाति अलग हो या उम्र में फासला हो तो ऐसे लिव इन जोड़ों के बीच विवाद होने लगते हैं। वहीं, कई जोड़े एक दूसरे की नौकरी को लेकर भी अहम का टकराव होने लगता है, फिर मामले थाने तक पहुंचते हैं। इसी के चलते ऐसे जोड़े विवादों से बचने के लिए लिव इन रिलेशन की नोटरी करा लेते हैं। हालांकि, कानूनी रूप से ऐसे दस्तावेज का कोई औचित्य नहीं है। कांट्रेक्ट एक्ट केवल मुसलमानों में ही मान्य है। हिंदुओं के लिए नहीं, क्योंकि विवाह अनुबंध की श्रेणी में नहीं आता।