
MP election 2018 : प्रदेश की यह है सबसे जोरदार सीट, टिकट के लिए भाजपा कांग्रेस में कशमकश
ग्वालियर । प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन क्षेत्र की ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर सबसे ज्यादा घमासान होने के आसार हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से सबसे अधिक दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। भाजपा के जयभान सिंह पवैया इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। वे मजबूत दावेदारी पेश करेंगे। वहीं कांग्रेस इस बार भाजपा के इस गढ़ को तोडऩे के लिए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है। ग्वालियर सीट पर भाजपा में टिकट का संघर्ष सामने नहीं दिखता। यहां कांग्रेस में कई नेता सडक़ों पर उतर कर अपनी दावेदारी जता चुके हैं ।
दोनों के लिए संघर्ष
संगीत सम्राट तानसेन के समाधि स्थल के लिए विख्यात ग्वालियर विधानसभा में इस बार सडक़ व गंदे पानी का मुद्दा ही प्रमुख रहेगा। टिकट के लिए भाजपा में ज्यादा संघर्ष की स्थिति दिखाई नहीं देती। कांग्रेस में कशमकश चल रही है। सरकारी अस्पतालों के हालात नहीं सुधरने तथा सडक़ों की स्थिति व गंदे पानी की समस्या के कारण कांग्रेस नेताओं को सडक़ पर आने का पर्याप्त मौका इस क्षेत्र में मिला है।
2013 के वोट
भाजपा
जयभान सिंह पवैया
73810
कांग्रेस
प्रद्युम्न सिंह तोमर
58606
मजबूत दावेदार
जयभान सिंह पवैया- वर्तमान में मंत्री हैं
वेदप्रकाश शर्मा- पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष
ये हैं मुद्दे
अतिक्रमण, बदहाल सीवर लाइनें, गंदा पेयजल, जेसी मिल श्रमिकों की समस्या
मजबूत दावेदार
सुनील शर्मा- शहर जिला कांग्रेस महासचिव
प्रद्युम्न सिंह तोमर - पूर्व विधायक
ये भी ठोक रहे ताल
राकेश जादौन-साडा अध्यक्ष
वेदप्रकाश शिवहरे-पूर्व मेला प्राधिकरण उपाध्यक्ष
अशोक शर्मा -पूर्व अध्यक्ष
जातिगत समीकरण
क्षत्रिय, कुशवाह, कायस्थ और अल्पसंख्यक और एससी-एसटी वोट ज्यादा हैं। क्षेत्र में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर भी चर्चा गर्म है।
चुनौतियां
पुराने वादों पर सवाल पूछेंगे मतदाता
पिछली बार जीतने के बावजूद बड़ी उपलब्धि नहीं, भाजपा के कैडर को रिझाना
विधायक की परफॉर्मेंस
तानसेन समारोह में नवाचार और वीरांगना मेला का बड़ा आयोजन उपलब्धि। स्वास्थ्य, स्वच्छता, सडक़ व पानी की समस्याओं का समाधान नहीं।
यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र के कारण मजदूर बाहुल्य रहा है। उद्योग बंद होने से जो संकट क्षेत्र पर आया उससे यह क्षेत्र अब उबर चुका है। समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ है।
धर्मेन्द्र सक्सेना, सामाजिक कार्यकर्ता
Published on:
05 Sept 2018 06:27 pm
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