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हजारों समग्र आईडी डुप्लीकेट, कहीं कोई और तो नहीं छीन रहा आपका हक

Gwalior News: राज्य शासन ने नगर निगम को चेताया, उनके सीमा क्षेत्र में करीब 42 हजार समग्र आईडी डुप्लीकेट, निगम आयुक्त ने जनकल्याण के नोडल अधिकारी अपर आयुक्त को जारी किए निर्देश, जल्द से जल्द कराएं डिलीट...

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Gwalior News(फोटो सोर्स: एक्स)

Gwalior News: नगर निगम सीमा क्षेत्र में काफी संख्या में डुप्लीकेट आईडी बनाई गई है। राज्य शासन ने खुद नगर निगम को बताया कि उनके सीमा क्षेत्र में 42 हजार समग्र आईडी डुप्लीकेट हैं। इनको डिलीट करने के लिए चिह्नित किया जा रहा है। दरअसल डुप्लीकेट आईडी की वजह से लाडली बहना योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अन्य लोगों को मिल जाता है, जबकि वास्तविक हितग्राही इससे वंचित रह जाता है।


राज्य शासन ने ग्वालियर नगर निगम को पत्र लिखा था। इसमें डुप्लीकेट आईडी को चिह्नित करने के बाद डिलीट करने के लिए कहा गया है। इसके चलते निगम आयुक्त ने जनकल्याण के नोडल अधिकारी अपर आयुक्त को निर्देश दिए। इसमें कहा गया कि डुप्लीकेट आईडी जल्द से जल्द डिलीट कराएं। इस कार्य में लापरवाही की गई तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आखिर क्यों जरूरी है समग्र आईडी?

किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेना हो या फिर बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराना, हर काम में समग्र आईडी व ई-केवायसी का प्रावधान किया गया है। यदि यह आपके पास नहीं है तो फिर किसी भी योजना का लाभ मिलना काफी मुश्किल है। इसलिए समग्र आईडी और ई-केवायसी अनिवार्य की गई है, इससे पता चल जाता है कि आपके द्वारा दी गई जानकारी कितनी सही है, कितनी गलत।

इसे कैसे किया जाएगा डिलीट?

नगर निगम के जनकल्याण शाखा में पदस्थ कर्मचारी द्वारा और जोन कार्यालय पर पदस्थ स्टाफ द्वारा 42 हजार डुप्लीकेट आईडी को डिलीट करने का काम शुरू कर दिया गया है। वार्ड में बनाई गई आईडी से समग्र आईडी का मिलान कराया जा रहा है। अगर वार्ड आईडी व समग्र आईडी का मिलान हो गया तो एक आईडी सिस्टम से हटा दी जाएगी। इस काम की निगरानी के लिए निगमायुक्त ने अपर आयुक्त, नोडल अधिकारी तथा जोनल अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस तरह तैयार कराई डुप्लीकेट समग्र आईडी

शहर में रहने वाले कई लोगों ने अपने परिवार में अलग-अलग लोगों की आईडी बनवाकर रखी है। साथ ही कुछ लोगों ने दूसरे जिले में रहने की बात कहते हुए डुप्लीकेट आईडी बनवा ली और बाद में दूसरे जिले में भी आईडी बनवा ली है। इसके चलते डुप्लीकेट आईडी की संख्या बढ़ गई है।

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