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2 जी पर अटका केंद्रीय संचार मंत्री सिंधिया का ग्वालियर, स्वीकृत ही नहीं किया सिस्टम अपग्रेड करने का प्रस्ताव

Gwalior News - 5 जी के दौर में ग्वालियर में मध्यक्षेत्र बिजली वितरण कंपनी का स्काडा सिस्टम 2 जी पर ही अटका है।

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Gwalior of Union Communications Minister Jyotiraditya Scindia stuck on 2G

Gwalior of Union Communications Minister Jyotiraditya Scindia stuck on 2G- image- social media

Gwalior News - 5 जी के दौर में ग्वालियर में मध्यक्षेत्र बिजली वितरण कंपनी का स्काडा सिस्टम 2 जी पर ही अटका है। फॉल्ट को ट्रेस करने और ट्रिपिंग-फॉल्ट की लोकेशन पता करने के लिए सन 2010 में यह सिस्टम लगाया था। उस समय स्काडा सिस्टम 2 जी पर काम कर रहा था। 15 साल बीत गए, लेकिन अभी तक सिस्टम को अपग्रेड नहीं किया गया। इस कारण फॉल्ट खोजने में एक से दो घंटे का समय लग रहा है। हालांकि बिजली कंपनी के अधिकारी का कहना है कि सिस्टम को अपग्रेड करने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि ग्वालियर, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गृह नगर भी है। इसके बावजूद यहां 4 जी का प्रस्ताव स्वीकृत ही नहीं किया गया।

करीब 33 करोड़ रुपए खर्च कर ग्वालियर के रोशनी घर स्थित मुख्यालय में स्काडा सिस्टम का काम शुरू किया गया था। यहां से ही सभी सर्किल की मॉनिटरिंग होती है। हालांकि जब से स्काडा सिस्टम ने सर्किल में काम करना शुरू किया तब से ही इसका लाभ बिजली कंपनी को नहीं मिला।

स्काडा सिस्टम शुरू करने के समय दावे किए थे कि शहर में कहीं भी फॉल्ट या ट्रिपिंग आएगी तो वह स्काडा के मॉनिटर पर शो करेगी। पूरी लोकेशन ट्रेस होने के बाद लाइन स्टाफ को वह जगह बता दी जाएगी, जहां फॉल्ट है, जिसके बाद लाइन स्टाफ 30 मिनट के अंदर फॉल्ट दुरुस्त कर लाइन चालू करा देगा। स्काडा से पहले फॉल्ट तलाशने लाइन स्टाफ को मैन्युअल काम करना पड़ता था, जिसमें समय लगता था, लेकिन स्काडा सिस्टम के लांच होने के बाद भी बदलाव नहीं आया।

फॉल्ट सुधारने में लग रहे एक से दो घंटे

ग्वालियर में 33 केवी की लाइन 3 से 4 किलोमीटर लंबी है। यदि लाइन में कहीं फॉल्ट आ जाता है तो मेंटेनेंस टीम को पूरी लाइन की सर्चिंग करना पड़ती है। उसमें करीब एक से दो घंटे का समय लग जाता है। इसके बाद फॉल्ट सुधारने में करीब एक घंटे लगता है। ऐसे में एक फॉल्ट सुधारने में करीब 3 घंटे का समय लग जाता है। जितने भी फॉल्ट- ट्रिपिंग आ रहे हैं, हर जोन के लाइन स्टाफ ने उन्हें मैन्युअली व लाइन पेट्रोलिंग के जरिए ही ट्रेस कर सुधार किया।

2 जी नेट कनेक्टिविटी के कारण स्काडा सिस्टम नाकाम

बिजली कंपनी ने स्काडा सिस्टम को स्थापित करने के लिए काफी बड़ी राशि खर्च की थी, लेकिन उस समय जो मॉडम इस्तेमाल किए गए उनमें नेट कनेक्टिविटी 2 जी रखी गई। इसलिए स्काडा सिस्टम उमीदों पर खरा नहीं उतर सका। फॉल्ट पकड़ने में सिस्टम नाकाम ही रहा।

स्वीकृत नहीं हुआ 4 जी का प्रस्ताव

बिजली कंपनी के अधिकारियों के अनुसार 2 जी से नेट कनेक्टिविटी को 4 जी पर ले जाने के लिए काफी पहले से प्रयास शुरु कर दिए गए थे। इस संबंध में प्रस्ताव भोपाल भेजा भी गया था, लेकिन वह स्वीकृत नहीं हुआ। अब फिर से इसकी कवायद शुरू की गई है।

ग्वालियर का स्काडा सिस्टम फाइबर नेट से काम कर रहा

इधर भोपाल स्थित स्काडा एमडी आफिस के एके जैन बताते हैं कि ग्वालियर का स्काडा सिस्टम फाइबर नेट से काम कर रहा है। यदि फॉल्ट ट्रेस नहीं कर पा रहा है तो स्थानीय दिक्कत हो सकती है।