
ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने तलाक की डिक्री के खिलाफ दायर प्रथम अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पति-पत्नी के बीच लंबे समय तक शारीरिक संबंध नहीं बनना भी एक क्रूरता है। विचारण न्यायालय में पति की क्रूरता साबित हुई है, क्योंकि पति की पत्नी के प्रति क्रूरता थी, जिसके चलते दोनों के शारीरिक संबंध नहीं बन पाए। अधीनस्थ न्यायालय ने तलाक की डिक्री पारित करने में कोई गलती नहीं की है। इसलिए आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जाता है।
कोर्ट ने इस मामले में काउंसिलिंग भी कराई और दोनों को जोड़ने के प्रयास किए, लेकिन प्रयास विफल रहे। दोनों पिछले 15 साल से अलग रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक शारीरिक संबंध न बनना भी क्रूरता की श्रेणी में है। कोर्ट ने पति की अपील खारिज कर दी।
डॉ. अनीता (परिवर्तित नाम) का विवाह अप्रेल 2002 को हुआ था। पति पेशे से व्यवसायी व चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। विवाह के बाद पांच से छह साल दोनों साथ रह सके। उसके बाद दोनों के बीच विवाद होने लगे। विवाद इतना बढ़ गया कि पति-पत्नी अलग हो गए। 2010 में पत्नी ने कुटुंब न्यायालय अशोकनगर में तलाक का दावा पेश किया। पत्नी का तलाक का दावा आने के बाद पति ने कुटुंब न्यायालय में साथ रखने का आवेदन लगाया। कुटुंब न्यायालय में दोनों की गवाही हुई। कुटुंब न्यायालय ने शारीरिक व मानसिक क्रूरता के आधार पर दिसंबर 2022 को तलाक की डिक्री पारित कर दी। इस डिक्री के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
Published on:
09 Apr 2024 10:29 am
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