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दिव्यांग बनाने की ‘दुकान’, 1 हजार रुपए में बना देता था अंधा, बहरा या गूंगा

बड़े रैकेट का खुलासा..फर्जी दिव्यांग बनाकर सूची वेबसाइट पर की जाती थी अपडेट..

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ग्वालियर. मध्यप्रदेश के ग्वालियर में महज एक हजार रुपए में अच्छे भले इंसान को दिव्यांग बनाए जाने का खुलासा हुआ है। पुलिस ने पैसे लेकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया है जो कि सिविल सर्जन के ऑफिस में ऑपरेटर के पद पर पदस्थ था। अभी तक ये शख्स कितने लोगों के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बना चुका है फिलहाल इसका खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन ये जरुर पता चला है कि 1 हजार रुपए लेकर जिन भी लोगों के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट आरोपी ने बनाए हैं उन्हें वेबसाइट पर भी अपडेट कर चुका है।


खोल रखी थी दिव्यांग बनाने की 'दुकान'
ग्वालियर क्राइम ब्रांच व कंपू पुलिस को सूचना मिली थी कि बड़े स्तर पर लोगों के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं। पुलिस ने मामले की तफ्तीश की और कड़ियां जोड़नी शुरु कीं तो पता चला कि मुरैना के सबलगढ़ के रहने वाले बसंत गौर, रामनरेश त्यागी और कपिल धाकड़ ने भी शरीर में कोई खामी न होने के बावजूद फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवा रखे हैं। पुलिस ने मामले में जब सीएमएचओ से बात की तो पता चला कि जो फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए हैं उनपर उनके हस्ताक्षर व साइन नहीं हैं। तफ्तीश आगे बढ़ी तो पुलिस उस मास्टरमाइंड तक पहुंची जो दिव्यांग बनाने की 'दुकान' चला रहा था। आरोपी का नाम गुरु है जिसे सिविल सर्जन के दफ्तर में आउटसोर्स पर ऑपरेटर रखा गया था। गुरु ही वो शख्स है जिसने महज एक हजार रुपए लेकर न जाने कितने अच्छे भले इंसानों के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बना डाले। आरोपी ने बताया कि वो करीब तीन महीने से फर्जी सर्टिफिकेट बना रहा था और उसे 5 दिन पहले ही जॉब से हटाया गया है।

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पुलिस कर रही आरोपी से पूछताछ
पुलिस को शक है कि इस फर्जी वाड़े में कई लोग शामिल हो सकते हैं। ये भी हो सकता है कि स्वास्थ विभाग और इस दिव्यांग सार्टिफिकेट बनाने वाले विभाग के कुछ लोग पर्दे के पीछे से पैसों का लेन-देन कर रहे हों। इन्हीं सभी आशंकाओं के चलते पुलिस फिलहाल पकड़े गए आरोपी गुरु से पूछताछ कर रही है। बता दें कि दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के बाद फर्जी दिव्यांग धड़ल्ले से उन सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे जिनपर की असलियत में हक दिव्यांगों का होता है।

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