
MP High Court Gwalior (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)
MP High Court: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें ग्वालियर के तत्कालीन एसपी नवनीत भसीन व अमित सांघी (वर्तमान में डीआईजी ग्वालियर) के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए थे। साथ ही तीन पुलिस कर्मियों पर लगी 20 लाख रुपए की कॉस्ट के आदेश में बदलाव कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विचारण न्यायालय पीड़ित को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि तय करे।
दरअसल अशोक रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसकी ओर से आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता के पिता व खेमू शाक्य के बीच बहस हो गई। दोनों बेलगड़ा थाने पहुंचे। पुलिस ने खेमू की शिकायत पर याचिकाकर्ता के पिता को हिरासत में ले लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता के पिता की पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसके पिता की मौत हो गई। इसकी सूचना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसमें दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया।
हाईकोर्ट में मामला आने के बाद पूरे तथ्य देखे। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 10 अगस्त 2019 को घटना हुई, लेकिन जांच शिवपुरी के करैरा एसडीओपी को दे दी गई। जिससे दर्शाया जा सके कि निष्पक्ष जांच की जा रही है। दुर्भाग्य से जांच अधिकारियों ने 2 साल तक जांच लंबित रखी।
हाईकोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी आत्माराम शर्मा, जीडी शर्मा, संजय शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ तत्कालीन एसपी नवनीत भसीन व तत्कालीन एसपी अमित सांघी सहित अन्य अधिकारियों ने युगल पीठ में रिट अपील दायर की। साथ ही राज्य शासन ने भी रिट अपील दायर की। हाईकोर्ट ने फरवरी में रिट अपील पर बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार 17 जून को इसमें फैसला सुना दिया।
Published on:
17 Jun 2025 03:46 pm
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