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NRC का सर्वे समझकर लोगों ने आर्थिक सर्वेक्षण टीम को भगाया, अब ऐसे शुरु होगा सर्वे

प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर सर्वे किया जा रहा है। इसे लेकर बने असमंजस के चलते कई इलाकों में कर्मचारियों को लोगों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

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NRC का सर्वे समझकर लोगों ने आर्थिक सर्वेक्षण टीम को भगाया, अब ऐसे शुरु होगा सर्वे

ग्वालियर/ प्रधानमंत्री मोदी की ओर से एनआसरी पर किसी तरह की चर्चा न किये जाने के दावे के बावजूद लोगों में भ्रम की स्थिति टूटने का नाम ही नहीं ले रही है। फिलहाल, सीएए पारित किया गया है, जिसका उद्देश्य तीन देशों से आए प्ताड़ित अल्पसंखयकों को नागरिकता देना है। हालांकि, कई लोगों में दोनो कानूनों को लेकर काफी चिंता है। इसी भ्रम के चलते अन्य दूसरी सर्वेक्षण टीमों को भी लोग शक की निगाहों से देख रहे हैं। इससे कार्य तो बाधित हो ही रहा है, साथ साथ सर्वे करने वाली टीम की जान पर भी खतरा बना हुआ है। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर सर्वे किया जा रहा है। इसे लेकर बने असमंजस के चलते कई इलाकों में कर्मचारियों को लोगों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

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पिटते पिटते बचीं सर्वेक्षण टीम

यहां अब तक कई इलाकों में सर्वेयरों को जानकारी देने से तो मना किया ही गया, साथ ही साथ बुरी तरह झड़प कर भगाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। बीते एक माह के हालातों पर गौर करें तो, यहां करीब तीन बार सर्वेक्षण टीम के कर्मचारी लोगों के गुस्से का शिकार होकर पिटते पिटते बचे हैं। पुलिस ने सर्वेयरों को बचाया। श्योपुर, शिवपुरी में भी गणना करने पहुंचे कर्मचारियों को भगाने की घटनाएं सामने आई हैं। डरे सहमे कर्मचारियों ने मजबूरन इलाके के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, क्षेत्रीय पार्षदों या पुलिस का सहयोग लेना शुरु किया है, ताकि सर्वेक्षण से संबंधित जानकारी जुटाई जा सके। वहीं, श्योपुर में कलेक्टर ने जागरुकता कार्यक्रम चलाने की बात कही है। बावजूद इसके लोगों में सर्वे का विरोध देखने को मिल रहा है। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादा समस्या मुस्लिम बाहुल इलाकों में देखने को मिल रही है।

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इसी माह पूरा होना है सर्वे का काम

ग्वालियर में 5 लाख 14 हजार लोगों की आर्थिक गणना की जा रही है। सितंबर 2019 में ये सर्वेक्षण शुरु किया गया था, जिसे फरवरी 2020 तक पूरा किया जाना था। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आर्थिक गणना का काम सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड को सौंपा है। ग्वालियर में सीएससी कंपनी ने सांख्यिकी विभाग को अवगत कराते हुए कहा है कि, इस तरह की परिस्थितियों में काम करना आसान नहीं है, यही कारण है कि, आर्थिक गणना के कार्य के लिए किये जा रहे सर्वे की गति धीमी है।

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ये मामले सामने आए

नदी पार टाल मुरार में टीम ने जैसे ही जानकारी लेना शुरू किया तो लोगों ने उन्हें ये कहकर घेर लिया कि, तुम जानकारी ले जाओगे फिर हमें देश से निकाल दोगे। जब मारपीट की स्थिति बन गई तो टीम ने जिला प्रबंधक को फोन लगाया, वो कर्मचारियों के सभी दस्तावेज एवं पुलिस को साथ लेकर पहुंचे। तब जाकर कहीं कर्मचारियों की जान बची। न गेंडेवाली सड़क इलाके में टीम को लोगों ने घेर लिया था। अफसरों को फोन तक नहीं लगाने दिया गया। हंगामे की सूचना पर स्थानीय पार्षद मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाइश देकर कर्मचारियों को इलाके से बाहर किया। हजीरा क्षेत्र के इलाके में कर्मचारियों को पहले तो विरोध का सामना करना पड़ा, जब बात नहीं बनी तो लोगों ने टीम को बिना सर्वे किये भाग लेने को कहा।

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इन सवालों में उलझ रहे लोग

परिवार के सदस्य यदि अलग-अलग रहते हैं तो उनकी अलग आर्थिक गणना होगी। सामूहिक होने पर पिता को मुखिया मानते हुए गणना की जाएगी। हालांकि इसमें यह देखा जाएगा कि वह कम से कम तीन माह से निवास कर रहा हो या अगले 3 माह तक रहना उसका तय हो। आर्थिक गणना में आवासीय के लिए 5-7 सवाल हैं, जबकि कमर्शियल में करीब 20 सवाल रखे गए हैं। यह गणना मोबाइल के माध्यम से की जा रही है। इसलिए भी लोग सर्वेयरों पर अविश्वास जता रहे हैं। लोगों यह भी पूछते हैं कि जब जनगणना 2021 में होनी है तो फिर 2020 में ये किस तरह की जनगणना हो रही है।