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खुलेआम कई बार हुआ रेप, बदले में पूरे गांव की सामने गोली से उड़ा दिए 18 लोग

किसी ज़माने में दहशत का दूसरा नाम रही फूलन की जिंदगी में कई ऐसे पड़ाव आए जिन्हें जानकर कोई भी हैरान रह जाए। कम उम्र में शादी, फिर गैंगरेप और फिर इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर

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rishi upadhyay

Jul 24, 2017

phoolan devi real story

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भोपाल/ग्वालियर। फूलन देवी को मौत को 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन डकैत से सांसद बनी फूलन देवी के किस्से आज भी चंबल के बीहड़ों सुने और सुनाए जाते हैं। एक मासूम लड़की के दस्यु सुंदरी बनने तक की इस कहानी के कई पहलू हैं। कोई फूलन के प्रति सहानुभूति रखता है तो कहीं उसे खूंखार डकैत माना गया। 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी की उनके ही घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।


किसी ज़माने में दहशत का दूसरा नाम रही फूलन की जिंदगी में कई ऐसे पड़ाव आए जिन्हें जानकर कोई भी हैरान रह जाए। कम उम्र में शादी, फिर गैंगरेप और फिर इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर। इस दस्यु सुंदरी के डकैत बनने की पूरी कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है। यूं तो फूलन देवी पर आपने बहुत कुछ पढ़ा, जाना, सुना होगा लेकिन आज हम आपको फूलन देवी के बंदूक थामने के पीछे की कहानी बता रहे हैं। जानिए ‘बैंडिट क्वीन’से सांसद बनने तक का सफर...


1- 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा में जन्मी यह महिला शुरू से ही जातिगत भेदभाव का शिकार रही। लेकिन 11 साल की उम्र में फूलन की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया।



phooln devi life history in hindi




2- 11 साल की उम्र में फूलन देवी को गांव से बाहर भेजने के लिए उसके चाचा मायादीन ने फूलन की शादी एक बूढ़े आदमी पुट्टी लाल से करवा दी। फूलन इस उम्र में शादी के लिए तैयार नहीं थी। शादी के तुरंत बाद ही फूलन देवी दुराचार का शिकार हो गई। जिसके बाद वो वापस अपने घर भागकर आ गई। घर आकर फूलन अपने पिता के साथ मजदूरी में हांथ बंटाने लगी।


3- महज 15 साल की उम्र में फूलन देवी के साथ एक बड़ा हादसा हो गया, जब गांव के ठाकुरों ने उनके साथ गैंगरेप किया। इस घटना को लेकर फूलन न्याय के लिए दर-दर भटकती रही लेकिन कहीं से न्याय न मिलने पर फूलन ने बंदूक उठाने का फैसला किया।


4- फूलन देवी के साथ ये हादसा यही ख़त्म नहीं हुआ, इंसाफ के लिए दर-दर भटकती इस महिला के गांव में कुछ डकैतों ने हमला किया। इसके बाद डकैत फूलन को उठाकर ले गए और कई बार रेप किया। यहीं से बदली फूलन की जिंदगी, और फूलन की मुलाकात विक्रम मल्लाह से हुई, जिसके बाद दोनों ने मिलकर डाकूओं का अलग गैंग बनाया।



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5- फूलन के दिल में अपने साथ हुए दुराचार की टीस अभी भी बाकी थी, लिहाजा उसने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने की ठान ली। और 1981 में 22 सवर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से छलनी कर दिया। इसके बाद पूरे चंबल में फूलन का खौफ पसर गया। सरकार ने फूलन को पकड़ने का आदेश दिया लेकिन यूपी और मध्य प्रदेश की पुलिस फूलन को पकड़ने में नाकाम रही।


6- बाद में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 1983 में फूलन देवी से सरेंडर करने को कहा गया, जिसे फूलन ने मान लिया। हालांकि आत्मसमर्पण करना फूलन की मजबूरी भी बन चुकी थी क्योंकि फूलन का साथी विक्रम मल्लाह पुलिस की मुठभेड़ में मारा जा चुका था और गैंग भी अब मजबूत स्थिति में नहीं था।


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7- हालांकि फूलन ने यूं ही सरेंडर नहीं किया उसने सरकार से अपनी शर्तें मनवाई, जिनमें पहली शर्त उसे या उसके सभी साथियों को मृत्युदंड नहीं देने की थी। फूलन की अगली शर्त ये थी कि उसके गैंग के सभी लोगों को 8 साल से अधिक की सजा न दी जाए। इन शर्तों को सरकार ने मान लिया था।


8- लेकिन 11 साल तक फूलन देवी को बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा। इसके बाद 1994 में आई समाजवादी सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया। और इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला और वो मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंच गई।


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9- इसके बाद साल 2001 फूलन की जिंदगी का आखिरी साल रहा। इसी साल खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के आवास पर उनकी हत्या कर दी। हत्या के बाद राणा का दावा था कि ये 1981 में सवर्णों की हत्या का बदला है।




10- इस हत्या को कई तरह से देखा जाता है। कभी इसमें राजनीतिक साजिश की बू नजर आती है तो कभी उसके पति उम्मेद सिंह पर भी फूलन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगता है। फूलन देवी पर फिल्म बैंडिट क्वीन भी बन चुकी है। जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म पर फूलन को आपत्ति थी। जिसके बाद कई कट्स के बाद फिल्म रिलीज हुई। लेकिन बाद में सरकार ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया।

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