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Shocking: 14 साल में जिस कॉलेज के बदले 3 सचिव और 7 कुलपति, एमपी में है ही नहीं वो कॉलेज

MP Fake College Case: वर्तमान कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी ने भी सत्र 2013-14 और 2014-15 में किया था कॉलेज का निरीक्षण, Fake College Case के बड़े फर्जीवाड़े से राज्य सरकार को करोड़ों की चपत, यहां जानिए पूरा मामला

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MP Fake College Case: जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्ध मुरैना की सबलगढ़ तहसील के झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज की शिकायत आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में होते ही विवि में खलबली मची हुई है। प्राथमिक जांच में इस मामले में साठगांठ से फर्जीवाडा़ होने और फर्जी कॉलेज के जरिए करोड़ों रुपए की स्कॉलरशिप निकालकर शासन को भी आर्थिक हानि पहुंचाई गई है।

सत्र 2011-12 यानी 14 साल में जेयू में कुलपति के रूप में प्रो एम किदवई, प्रो जेएन गौतम, प्रो संगीता शुक्ला व वर्तमान कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी और कुलसचिव के रूप में डॉ आनंद मिश्रा, डॉ आईके मंसूरी, प्रो एपीएस चौहान, डॉ सुशील मंडेरिया, डॉ आरके बघेल व वर्तमान कुलसचिव अरुण सिंह भी रहे, लेकिन आज तक किसी ने भी इस मामले पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की।

खास बात यह है कि वर्तमान कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी भी दो बार कॉलेज का निरीक्षण कर चुके, इसमें एक बार सदस्य के रूप में और दूसरी बार अध्यक्ष के रूप में और उन्हें सबकुछ मालूम होने के बाद भी वह कॉलेज संचालक पर कार्रवाई करने से बचते रहे और कागजों में ही झुंडपुरा कॉलेज को संबद्धता देते रहे।

वहीं कुछ प्रोफेसरों और शिक्षकों का दबी जुबान से कहना है कि वह निरीक्षण समिति की टीम में शामिल होकर निरीक्षण करने जरूर गए थे और उन्हें कॉलेज भी दिखाया गया था, लेकिन यह सब कैसे हुआ यह उनकी समझ नहीं आ रहा है।

शासन व राजभवन ने मांगी जानकारी, विवि ने भेजी

इधर, झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज के मामले में ईओडब्ल्यू में कुलपति प्रो अविनाश तिवारी सहित 17 प्रोफेसर पर मामला दर्ज होते ही उच्च शिक्षा विभाग और राजभवन की ओर से विवि से इस मामले को लेकर जवाब मांगा गया।

मंगलवार दोपहर को ही विवि प्रबंधन की ओर से आनन-फानन में 2011-12 से 14 वर्ष तक निरीक्षण करने वाले प्रोफेसरों -शिक्षकों और कॉलेज की बिल्डिंग व भूमि सहित सभी दस्तावेजों के साथ जानकारी एकत्रित कर राजभवन व विभाग को भेजी गई। जानकारी में बताया गया है कि 2011-12 से लेकर अब तक निरीक्षण में सभी नियमों का पालन किया गया है।


तिवारी ने दो बार किया निरीक्षण फिर भी कागजों में ही देते रहे संबद्धता

सत्र 2013-14 में प्रो आरए शर्मा, प्रो अविनाश तिवारी (सदस्य), डॉ केएस ठाकुर व डॉ संजय गुप्ता ने झुंडपुरा में कॉलेज का निरीक्षण किया। इसके बाद सत्र 2014-15 में प्रो अविनाश तिवारी (संयोजक), डॉ. एके हल्बे, डॉ एसके सिंह व डॉ. ज्योति प्रसाद ने सबलगढ़ में कॉलेज का निरीक्षण किया, लेकिन दोनों ही जगहों पर कॉलेज नहीं था फिर भी कागजों में कॉलेजों के होने की पुष्टि की।

यह वही समय है, जब उच्च शिक्षा विभाग आयुक्त ने अप्रेल 2014 में कॉलेज को झुंडपुरा से सबलगढ़ स्थानांतरण किया था, लेकिन स्थानांतरण के छह माह बाद कॉलेज पुन: दोबारा अक्टूबर 2014 को कॉलेज झुंडपुरा में दर्शाया गया, जबकि जून 2024 में नगर परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया था कि झुंडपुरा में कोई कॉलेज नहीं है और भवन पूर्णता प्रमाण पत्र भी हमारे कार्यालय से जारी नहीं किया गया है।


जेयू में लगाई जाए धारा-52, एसपी को आवेदन देकर सुरक्षा की गुहार

शिवशक्ति महाविद्यालय ग्राम झुंडपुरा के कथित प्राचार्य अरुण शर्मा ने मंगलवार शाम को पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि सत्र 2011-12 से अब तक यानी 14 वर्ष में कुलगुरु प्रो अविनाश तिवारी सहित 28 प्रोफेसरों ने कॉलेज का निरीक्षण सिर्फ कागजों मेें ही दर्शाया है। प्रो तिवारी सहित सभी प्रोफेसरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

इस दौरान उन्होंने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मांग की है कि कागजों में संचालित होने वाले शिव शक्ति महाविद्यालय को संबद्घता देने वाले कुलगुरु प्रो.अविनाश तिवारी को तत्काल पद से हटाया जाए और जीवाजी विवि में धारा-52 लागू की जाए। इसके साथ ही उन्होंने एसपी धर्मवीर सिंह को आवेदन देते हुए गुहार लगाई की उनकी जान को खतरा है और कॉलेज संचालक व प्रो तिवारी सहित अन्य प्रोफेसर उन्हें कभी भी मौत के घाट उतार सकते है, इसलिए उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए। वहीं एसपी ने शर्मा को सुरक्षा का आश्वासन दिया है।


स्कॉलरशिप के नाम पर शासन को करोड़ों की हानि

झुंडपुरा में जब कॉलेज कभी खुला ही नहीं और वह सिर्फ कागजों में ही संचालित होता रहा है। इसके संचालक रघुराज जादौन कॉलेजों में सैकड़ों छात्रों को प्रवेश देकर स्कॉलरशिप भी निकालते रहे और विवि के प्रोफेसर कॉलेज को संबद्धता देने की अनुशंसा करते रहे है। इससे शासन को स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों रुपए की हानि भी पहुंचाई गई है और इसमें निरीक्षण में शामिल प्रो तिवारी सहित सभी का कहीं न कहीं हाथ रहा है।

EOW ने की है कार्रवाई

यूनिवर्सिटी के कुल सचिव और प्रोफेसर्स ने मिलकर शासन को करोड़ों रुपए का चपत लगाई है। इस मामले की जांच के बाद EOW ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत ये कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही EOW ने मामले में कुल सचिव समेत 17 प्रोफेसर्स के खिलाफ धारा 420, 409, 467, 468 और 120B के तहत केस दर्ज किया है।


एमपी के इतिहास में पहली बार दो कुलपति और 17 प्रोफेसरों पर केस दर्ज

एमपी के इतिहास में पहली बार विवि के दो कुलपति व 17 प्रोफेसरों पर ईओडब्ल्यू ने एफआईदर्ज की है। अभी इस मामले में 100 लोगों से अधिक की गिरफ्तारी भी होगी। क्योंकि इसमें आदिम जाति कल्याण विभाग, नोडल केंद्र नेहरू कॉलेज सबलगढ़ के प्राचार्य, बैंक मैनेजर व स्टाफ ने छात्रों व स्टाफ के फर्जी खाते खुलवाकर करोड़ों रुपए का हेरफेर किया है। यह व्यापमं पार्ट-2 है। मैंने एसपी को आवेदन देकर गुहार लगाई है कि अभी मामला न्यायालय में चल रहा है और मुझे जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है, इसलिए मुझे सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। क्योंकि यह बन्हेरी के सरपंच विक्रम रावत की तरह मेरी हत्या करा सकते हैं।
-डॉ अरुण कुमार शर्मा, पीड़ित

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