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क्यों बोलना पड़ा कांग्रेस विधायक को कोर्ट सामने कि उन्हें उपयुक्त गवाह नहीं मिल रहे, विधायकी पर भी खतरा

हाईकोर्ट की एकल पीठ में सोमवार को विजयपुर विधायक मुकेश मल्होत्रा के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में गवाही के लिए भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे रामनिवास रावत ने अपने गवाहों की सूची पेश कर दी, लेकिन मुकेश मल्होत्रा गवाहों की सूची पेश नहीं कर पाए।

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gwalior high court

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हाईकोर्ट की एकल पीठ में सोमवार को विजयपुर विधायक मुकेश मल्होत्रा के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में गवाही के लिए भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे रामनिवास रावत ने अपने गवाहों की सूची पेश कर दी, लेकिन मुकेश मल्होत्रा गवाहों की सूची पेश नहीं कर पाए। उनकी ओर से तर्क दिया कि बचाव में गवाह जुटाना थोड़ा मुश्किल है। गवाहों की जो सूची तैयार की थी, उसमें संशोधन की आवश्यकता है। इसके लिए तीन दिन का समय चाहिए। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए तीन दिन का समय दिया है। 31 जुलाई को याचिका की फिर से सुनवाई हो होगी। दोनों पक्षों से जो गवाह उपस्थित किए जाएंगे, उनसे पांच प्रश्नों के जवाब पूछे जाएंगे। इन प्रश्नों में जो जवाब आएंगे, उसके आधार पर मुकेश मल्होत्रा की विधायकी पर फैसला होगा।

दरअसल रामनिवास रावत उपचुनाव में कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा से हार गए थे, लेकिन रामनिवास रावत ने चुनाव शपथ पत्र में अपराध की जानकारी छिपाई थी। इसी आधार पर विधायक के निर्वाचन को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने मुकेश मल्होत्रा के आवेदनों को खारिज करते हुए पांच वाद प्रश्न बनाए हैं। इन प्रश्नों के जवाब देने के लिए दोनों पक्षों को अपने-अपने गवाहों की सूची पेश करनी है।

https://www.patrika.com/bhopal-news/supreme-court-increased-the-problems-of-minister-vijay-shah-19815857इन प्रश्नों पर गवाहों से होगा क्रॉस

1- क्या मुकेश मल्होत्रा (प्रतिवादी) को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 ए और संबंधित नियमों के तहत अपने नामांकन पत्र और हलफनामे (फॉर्म 26) में कुछ आपराधिक मामलों (समूह 1 और समूह 2 दोनों) का खुलासा करना आवश्यक था?

2- क्या प्रतिवादी द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करना या अधूरा खुलासा करना वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन है। क्या इससे उसके चुनाव की वैधता प्रभावित होती है?

3- क्या प्रतिवादी द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि का कथित रूप से खुलासा न करने या अपूर्ण प्रकटीकरण ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 100(1)(घ) के तहत अपेक्षित रूप से चुनाव के परिणाम को भौतिक रूप से प्रभावित किया है?

4- क्या प्रतिवादी ने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रकाशन के संबंध में भारत के चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया है, और क्या ऐसा अनुपालन कानून का पर्याप्त अनुपालन है?

5- क्या याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी के खिलाफ भ्रष्ट आचरण का मामला बनाया है?