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नौकरी नहीं मिली तो अपनाया पुश्तैनी धंधा, अब बना रहे हैं 50 हजार दीपक

-नौकरी नहीं मिली तो अपनाया पुश्तैनी धंधा-अब बना रहे हैं 50 हजार दीपक-इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद-पूरा परिवार मिलकर बना रहे हैं मिट्टी के दीप

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नौकरी नहीं मिली तो अपनाया पुश्तैनी धंधा, अब बना रहे हैं 50 हजार दीपक

हरदा. दीपावली पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्हारों की चाक अब तेजी से चलने लगी है। पूरा परिवार मिट्टी के दीपक बनाने में लगा है। उन्हें इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है। जिले के ग्राम छोटी हरदा में कुम्हारों की बस्ती में उनका परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने में व्यस्त हैं। छोटी हरदा के रहने वाले विनोद प्रजापति और ओमप्रकाश प्रजापति ने बताया कि, मिट्टी के दीपक बनाने में मेहनत लगती है। रोजाना 1500 से 2000 दीपक बना रहे हैं।


शहर के वार्ड नं 34 छोटी हरदा के रहने वाले मिट्टी के दीपक युवा बना रहे हैं। उनका कहना है कि, पहले ये काम बड़े से लकड़ी के चक्के से किया जाता था, जिसे एक लकड़ी की मदद से घुमाया जाता था और उसमे मेहनत ज्यादा लगती थी और दीपक कम बनते थे। लेकिन समय बदला तो बिजली से चलने वाले दीपक बनाने की मशीन आ गई, जिससे काम थोड़ा आसान हो गया।

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नौकरी नहीं लगी तो शुरु किया पुष्तैनी व्यवसाय

दीपक बना रहे दोनो भाई विनोद और ओमप्रकाश ने बताया कि दोनो पोस्टग्रेजुएट है और उन्होंने पीजीडीसीए कर रखा है। उन्होंने अच्छी पढ़ाई की और नौकरी करने का मन बनाया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नौकरी नहीं मिलने के कारण उन्होंने पुश्तैनी व्यवसाय करना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि, पहले लकड़ी के चक्के से दीपावली त्यौहार पर करीब 10 से 15 हजार दीपक ही तैयार होते थे, लेकिन अब नई तकनीक आ जाने से 50 हजार दीपक तैयार हो जाते हैं।


इस तरह बनाया जाता है दीपक

दीपक बनाने की विधि के बारे में उन्होंने बताया कि, दीपक बनाने के लिए पहले नदी किनारे से काली मिट्टी लाकर सुखाई जाती है, जिसमें सूखे गोबर का बुरादा मिलाकर मिक्स करके महीन किया जाता है। इसके बाद मिट्टी के गोले तैयार किये जाते हैं, जिसे इलेक्ट्रॉनिक पहिये पर रखकर दिए बनाए जाते हैं। जिन्हें धूप में सुखाने के बाद आग में पकाया जाता है। इसके बाद ये दिये इस्तेमाल के लिए तैयार होते हैं।