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MP Election 2023 – काम छोड़कर आए तो नहीं मिलेगी मजदूरी, प्रशासन ने वोटिंग के लिए भेजे डिजिटल कार्ड

क्षेत्र के आदिवासी परिवार हर साल काम की तलाश में पलायन के लिए मजबूर हैं। ज्यादातर लोग काम की तलाश में महाराष्ट्र, बैतूल, इंदौर, पीथमपुर, मंडीदीप जाते हैं। ऐसे मतदाताओं को चुनाव के दौरान मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग ने तैयारी की है। प्रशासन ने ऐसे सभी वोटरों को डिजिटल पोस्ट कार्ड आमंत्रण पत्र भेजे हैं।

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हरदा

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deepak deewan

Nov 12, 2023

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लोग काम की तलाश में महाराष्ट्र, बैतूल, इंदौर, पीथमपुर, मंडीदीप जाते हैं

हरदा. क्षेत्र के आदिवासी परिवार हर साल काम की तलाश में पलायन के लिए मजबूर हैं। ज्यादातर लोग काम की तलाश में महाराष्ट्र, बैतूल, इंदौर, पीथमपुर, मंडीदीप जाते हैं। ऐसे मतदाताओं को चुनाव के दौरान मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग ने तैयारी की है। प्रशासन ने ऐसे सभी वोटरों को डिजिटल पोस्ट कार्ड आमंत्रण पत्र भेजे हैं।

जिन परिवारों के लोग काम की तलाश में पलायन कर गए हैं, उनके परिजनों ने अपनों के नाम अपनों की पाती भेजी है। 15 नवंबर से पीले चावल दिए जाएंगे। दिवाली पर घर आने वालों से बीएलओ व टीम मतदान करने का आग्रह करेगी। बीएलओ ने वोटरों के ग्रुप बनाए हैं, जिसमें शादी के आमंत्रण पत्र की तर्ज पर मतदान का आग्रह प्रशासन ने किया है।

काम छोड़ें तो मेहनत का रुपया डूब जाता है— आदिवासियों परिवारों के लिए पलायन मजबूरी के साथ जोखिम भरा भी है। युवा राधेश्याम और लालू कहते हैं कि फैक्ट्री वाले और ठेकेदार कई सुविधाओं का लालच देकर काम रखते हैं या घर से साथ ले जाते हैं। हर माह वेतन मांगने पर थोड़ा बहुत रुपया देते हैं। मजदूरी का रुपया अटका रहने के कारण काम भी नहीं छोड़ सकते। यदि काम छोड़ें तो मेहनत का रुपया डूब जाता है। कई बार तो भरपेट खाना भी नहीं मिलता। बंधक बनाकर काम कराया जाता है।

ग्रामीणों ने बताई अपनी परेशानी
ग्रामीण बुद्धराम कोरकू बताते हैं कि खेतों में मजदूरी, सीजन में तेंदूपत्ता व मिर्ची, भिंड़ी तोडऩे का कुछ काम मिलता है। इससे गुजारा संभव नहीं। यह काम भी परिवार के पति-पत्नी दोनों को करना पड़ता है। फिर भी महंगाई के कारण कई इच्छाएं मारना पड़ता है। त्योहारों पर संगठन, समाजसेवी जरुरत का सामान दे जाते हैं। बच्चे खुश हो जाते हैं।

ग्रामीण सुखिया बाई के अनुसार गांव में रोजगार के कोई साधन नहीं है। उम्र भी हो चली। खेती,मजदूरी का कठोर काम नहीं बनता। बेकार हाथों के लिए काम की यहां कोई संभावना नहीं है। इस कारण कई घरों के जवान बेटे, बहू तो कहीं माता पिता गन्ना तोडऩे और कई कारखानों में मजदूरी के लिए महाराष्ट्र जाते हैं। वे आते हैं तो ही त्योहार मना पाते हैं।

आमंत्रण सभी वोटरों तक पहुंचेगा
जिपं सीईओ एवं स्वीप नोडल अधिकारी रोहित सिसोनिया के अनुसारपोस्ट कार्ड लिखे गए हैं। आमंत्रण भी भेजे हैं। दिवाली के बाद घर-घर पीले चावल देकर न्यौता देंगे। बच्चों ने भी अपनों के नाम अपनों की पाती लिखी है। आमंत्रण सभी वोटरों तक पहुंचेगा, ऐसी व्यवस्था बनाई है।

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