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MP Election 2023: टिमरनी विधानसभा: सागौन ने देशभर में दिलाई पहचान, लेकिन उद्योग लगने का हो रहा इंतजार

जिलेभर की सागौन की लकड़ी टिमरनी में होती है नीलामी, देशभर से आते हैं खरीदार...

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हरदा

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Sanjana Kumar

Nov 09, 2023

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जिले के टिमरनी क्षेत्र की पहचान सौगान की खास गुणवत्ता के कारण देशभर में है। टिंबर के कारोबार के कारण क्षेत्र का नाम टिमरनी पड़ा। सागौन और कृषि मंडी से सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। फिर भी सागौन व कृषि आधारित कोई उद्योग 20 साल में नहीं खुल सका। बस स्टैंड, खेल मैदान और वनांचल में मोबाइल नेटवर्क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और रोजगार के लिए पलायन विकास के दावों की पोल खोलते हैं। इस विधानसभा के 36 गांवों में आज भी नेटवर्क के लिए मोबाइल टॉवर नहीं हैं। चुनाव व इमरजेंसी में पहाड़ी पर नेटवर्क खोजना पड़ता है। गांव के लोगों को देश दुनिया की अपडेट जानकारी, उनके लिए बनी योजनाओं की इंटरनेट के अभाव में जानकारी नहीं मिल पाती। आदिवासी बच्चों के लिए रहटगांव में खुले एकलव्य आवासीय स्कूल और टिमरनी, सिराली, रहटगांव के कॉलेज व सरकारी अस्पताल में 40 फीसदी स्टाफ की कमी है।

सागौन, कृषि आधारित उद्योग की संभावना
यहां की इमारती लकड़ी 100 साल से ज्यादा टिकाऊ है। विदेशों में भी यह उपयोग होती है। नीलामी के समय नामी व्यापारी आते हैं। सागौन की लकड़ी से संबंधित कोई उद्योग यूनिट शुरू होने पर रोजगार मिलेगा। फूड प्रोसेसिंग उद्योग भी नहीं लग सका। शिक्षित युवाओं के पास मजदूरी आदिवासी परिवारों के पास तेंदूपत्ता तोडऩे व खेतों में सीजनेबल काम के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कई युवा महाराष्ट्र काम करने जाते हैं,जो त्योहार पर लौटते हैं। कई बार बंधक बन चुके हैं तो कई बार आर्थिक शोषण का शिकार हुए हैं। वनमंत्री विजय शाह का गृह जिला है।

स्वास्थ्य, शिक्षा में पिछड़ा वनांचल
करीब 1.25 लाख वोटर एससी,एसटी वर्ग के हैं। एक सीएचसी, दो पीएचसी हैं। चंद्रखाल का प्रस्तावित पीएचसी नहीं खुला। 70 किमी दूर बसे मालेगांव और 30 किमी दूर छीपानेर से लोग इलाज कराने आते हैं। 40 फीसदी स्टाफ की कमी है। ऐसे में मामले हरदा रेफर कर दिए जाते हैं।वनांचल में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं बढ़ीं। अधूरे निर्माण,खस्ताहाल रास्तों के कारण कई गांवों में जननी व एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है।

10 साल में बस स्टैंड नहीं बना
2013 में जमीन मिली, लेकिन आज तक बस स्टैंड नहीं बना। चिलचिलाती धूप, तेज बारिश में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग बरगद के पेड के नीचे बसों का इंतजार करते हैं। नगर में खेल मैदान की मांग दशकों पुरानी है। युवा खेलने व नौकरी की फिजिकल की तैयारी के लिए मंडी या 15 किमी दूर हरदा जाते हैं। राधास्वामी ट्रस्ट से साढ़े 3 एकड़ लीज की भूमि वापस लेने लेकर मैदान बनाने के विकल्प को अनदेखा किया जा रहा है।

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