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हाथरस से जुड़ी हैं अटल जी की यादें, कई बार कवि सम्मेलनों में लिया हिस्सा

हाथरस की रबड़ी की भी अटल जी ने तारीफ की थी। काका हाथरसी के साथ कविता पाठ किया था अटल जी ने।

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हाथरस

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Amit Sharma

Aug 18, 2018

Atal ji

हाथरस से जुड़ी हैं अटल जी की यादें, कई बार कवि सम्मेलनों में लिया हिस्सा

हाथरस। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हाथरस से भी गहरा नाता रहा है। 1994 में भाजपा के तत्कालीन चेयरमैन एवं भाजपा के संस्थापक सदस्य रमेश चंद्र आर्य द्वारा मेफेयर होटल में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शिरकत की। नागरिक अभिनंदन समारोह में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का भव्य स्वागत सम्मान एवं अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम में हाथरस जनपद के प्रमुख समाज सेवी एवं सैकड़ों भाजपा के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। अटल जी ने लगभग एक घंटे उस कार्यक्रम में सभी कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित किया। अभिनंदन समारोह के बाद अटल जी तत्कालीन चेयरमैन रमेश चंद्र के मेफेयर होटल स्थित निवास पर पहुंचे जहां उन्होंने शाम तक विश्राम किया और रमेश चंद्र आर्य के पूरे परिवार, जिसमें प्रमुख रुप से रमेश चन्द्र आर्य की पत्नी व महिला मोर्चा की पूर्व ब्रज क्षेत्र उपाध्यक्ष प्रकाशवती आर्य, भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सुनीत आर्य, हिंदू जागरण मंच के प्रदेश मंत्री अभिषेक रंजन आर्य आदि से बातचीत की एवं शहर के प्रमुख भाजपाइयों से भी आर्य के घर पर मुलाकात की। भोजन के बाद अटल जी ने आर्य के परिवार के साथ कुछ फोटो भी खिंचाए।

हाथरस की रबड़ी के शौकीन थे अटल जी

1994 में अटल जी ने रात्रि का भोजन तत्कालीन चेयरमैन रमेशचंद्र के घर पर किया। खाने में उन्हें हाथरस की रबड़ी दी गयी जो अटल जी को बहुत पसंद आई। हाथरस की रबड़ी की अटल जी ने बहुत तारीफ की थी, उसके बाद हाथरस से कई बार जो मिलने जाते उनके लिए हाथरस की रबड़ी भी ले जाते थे।

काका हाथरसी के साथ कवि सम्मेलन में शरीक हुए

राजनीतिक कार्यक्रमों में तो अटल कई बार आए, लेकिन वह कवि के रूप में 1994 में हाथरस आए थे। 1994 में काका हाथरसी पुरस्कार समारोह में वह मुख्य अतिथि के रूप में आए और डॉ. राकेश शरद और भगवतशरण शर्मा को काका हाथरसी पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने श्रोताओं के आग्रह पर एक नहीं, बल्कि तीन कविताएं भी सुनाई थीं। उनकी कविताओं को सुनकर सभी भाव-विभोर हो गए थे। इस पुरस्कार समारोह में उन्होंने काका हाथरसी की जमकर तारीफ करते हुए कहा था कि आजादी से पूर्व 1944 से लेखन में रुचि लेकर जिस हास्य विधा को काका हाथरसी ने चुना और अपनी निष्ठा एवं लगन से ऊंचाइयों को छुआ, यह उनके परिश्रम का ही परिणाम है। इस समारोह में अटल से कविता की फरमाइश की जाने लगी। उन्होंने एक नहीं, तीन कविताएं सुनाने का आश्वासन दिया। तब कहीं जाकर लोग शांत हुए। उस समय उन्होंने यह कविताएं समारोह में सुनाई थीं जहां कवि सम्मेलन के समाप्त होने के बाद फिर वह रात्रि में दिल्ली के लिए रवाना हो गए।