
raja mahendra pratap singh
हाथरस।अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) को अपनी जमीन दान करने वाले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि आजाद हिंद फौज की स्थापना में भी राजा साहब का बड़ा योगदान था। वे चाहते तो अंग्रेजों का प्रस्ताव चुनकर अपने जीवन को संवार सकते थे, लेकिन उन्होंने गुलामी के बजाया देश की खातिर तमाम यातनाएं सहना स्वीकार किया और विदेशों में रहकर भी देश के लिए संघर्षरत रहे। जानते हैं राजा महेंद्र प्रताप सिंह से जुड़ी तमाम बातें।
बीस की उम्र में ताजपोशी
एक दिसम्बर 1886 को मुरसान के नरेश बहादुर घनश्याम सिंह के यहां जन्मे राजा महेन्द्र प्रताप को हाथरस नरेश राजा हरिनारायण सिंह ने गोद ले लिया था। राजा हरिनारायण की मृत्यु केे बाद 20 वर्ष की उम्र में राजा महेन्द्र प्रताप की ताजपोशी हो गई। लेकिन अंग्रेजी निजाम ने उन्हें राजा बहादुर की उपाधि नहीं दी। चूंकि जनता उनकी बहादुरी और देशभक्ति का सम्मान करती थी, लिहाजा जनता ने उन्हें शुरुआत से ही अपना राजा माना और राजा साहब कहना शुरू कर दिया। राजा साहब ने अपना लंबा समय विदेशों में गुजारा।
देश की खातिर सहीं तमाम यातनाएं
अंग्रेजी हकूमत के अत्याचार और दुराचारों से बचपन से ही उन्होंने आजाद भारत का स्वप्न देखा था। जिसको पूरा करने के लिए उन्होंने 31 वर्ष सात माह तक विदेश में रहकर आजादी का बिगुल बजाया। उस समय आजाद भारत के लिए हजारों देशभक्तों ने अपनी जिंदगियां न्यौछावर की। जो जीवित रहे उनको पीने के लिए पानी भी नसीब नहीं होता था। खाने के नाम पर कोड़े मिलते थे। अंग्रेजी हकूमत और देशी कारागार में उनको रात व दिन का पता भी नहीं चल पाता था। राजा महेंद्र प्रताप भी उन क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने देश की खातिर ये सभी यातनाएं सहीं।
सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर बनाई आजाद हिंद फौज
विदेश में रहने के दौरान राजा महेन्द्र प्रताप, सुभाषचंद्र बोस से मिले और आजाद हिन्द की नींव रखने में बड़ी भूमिका निभाई। विदेश में ही रहकर उन्होंने आजाद भारत की पहली सरकार का गठन किया जिसके राष्ट्रपति स्वयं बने। भारत के स्वतंत्र होने के बाद वे स्वदेश लौटे और आजाद भारत में लोकतंत्र ही आधारशिला में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1979 में भारत सरकार ने राजा साहब नाम से डाकटिकट जारी की थी। यह स्पेशल टिकट संग्रहकर्ताओं के पास आज भी सुरक्षित है।
देश को दीं तमाम शैक्षिक संस्थाएं
राजा महेन्द्र प्रताप शिक्षा के महत्व को अच्छे से समझते थे, लिहाजा उन्होंने उस समय देश को तमाम शैक्षिक संस्थाएं दीं, जब लोग शिक्षा व्यवस्था की जानकारी भी नहीं रखते थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए उन्होंने जमीन का बड़ा हिस्सा दान किया, जिसके बाद उस जमीन पर यूनिवर्सिटी का निर्माण हुआ। वहीं राजा साहब ने मथुरा-वृंदावन में सैकड़ों बीघा जमीन को सामाजिक संगठनों एवं शिक्षण संस्थानों को दान में दे दिया था।
गौहत्या के विरोध में आंदोलन
अफगानिस्तान में होने वाली गोवंश की हत्या रोकने के लिए राजा साहब ने आंदोलन किया था और लोगों को समझाकर गौ हत्या को बंद कराया था। साथ ही अफगानिस्तान में निर्विरोध राष्ट्रपति के रूप में चुने गये थे।
Published on:
21 May 2018 06:28 pm
बड़ी खबरें
View Allहाथरस
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
