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79% लोगों मानना है मोटापे का ऑपरेशन आखिरी रास्ता, पर डॉक्टर कह रहे ये बात

एक अध्ययन के मुताबिक़, लगभग 79% अमेरिकी मानते हैं कि मोटापे के इलाज के लिए ऑपरेशन सिर्फ आखिरी रास्ता होना चाहिए। ऑरलैंडो हेल्थ द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में ये आंकड़े सामने आए हैं।

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एक अध्ययन के मुताबिक़, लगभग 79% अमेरिकी मानते हैं कि मोटापे के इलाज के लिए ऑपरेशन सिर्फ आखिरी रास्ता होना चाहिए। ऑरलैंडो हेल्थ द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में ये आंकड़े सामने आए हैं।

उसी अध्ययन में 60% लोगों ने इस बात से सहमति जताई कि मोटापे का ऑपरेशन (बेरियाट्रिक सर्जरी) सिर्फ जल्दी और आसानी से वजन कम करने का तरीका है। जबकि अमेरिका में हर दो में से पांच वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं, और ये समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

हालांकि मोटापे का ऑपरेशन बहुत ही कारगर इलाज है, लेकिन अध्ययन ये बताता है कि इससे जुड़े आम भ्रम और नकारात्मक धारणाएं लोगों को इस जरूरी इलाज से रोक देती हैं।

ऑरलैंडो हेल्थ वेट लॉस एंड बेरियाट्रिक सर्जरी इंस्टिट्यूट के मेडिकल डायरेक्टर और बेरियाट्रिक सर्जन आंद्रे टेक्सेइरा कहते हैं, "मोटापे का इलाज हर मरीज के लिए अलग-अलग होता है। इसमें बॉडी मास इंडेक्स और पहले से मौजूद बीमारियों को ध्यान में रखा जाता है, और इलाज के विकल्पों में दवाएं, जीवनशैली में बदलाव, काउंसलिंग और बेरियाट्रिक सर्जरी शामिल हो सकते हैं।"

वह आगे कहते हैं, "इस व्यक्तिगत तरीके से हम मोटापे से होने वाली समस्याओं, जैसे डायबिटीज और हृदय रोग, को सफलतापूर्वक ठीक कर पाते हैं। लेकिन अगर किसी का फैसला उन लोगों से प्रभावित होता है जो सोचते हैं कि उन्हें सर्जरी की जरूरत नहीं है या सर्जरी करवाना हार मानने जैसा है, तो इससे उनका वजन कम करने और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना कम हो जाती है।"

लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी तकनीकों में बढ़ोतरी के कारण अब मोटापे का ऑपरेशन पहले से कम जख्म वाला और ज्यादा सुरक्षित हो गया है। फिर भी, जो लोग चिकित्सकीय रूप से इस ऑपरेशन के लिए उपयुक्त हैं, उनमें से केवल 1% ही ये प्रक्रिया करवाते हैं।

सर्वेक्षण में ये भी पाया गया कि 61% लोगों का मानना है कि सिर्फ व्यायाम और डायट का सहारा लेना ही काफी है।

ऑरलैंडो हेल्थ वेट लॉस एंड बेरियाट्रिक सर्जरी इंस्टिट्यूट के एक अन्य बेरियाट्रिक सर्जन मुहम्मद घानम कहते हैं, "मोटापे और उसके ऑपरेशन को लेकर नकारात्मक धारणाएं आम हैं, इसलिए मेरे कई मरीज खुद से वजन कम न कर पाने पर हार मान लेते हैं।"

वह आगे कहते हैं, "लेकिन जब मैं उन्हें बताता हूं कि मोटापा एक बीमारी है और उसके कई कारण उनके नियंत्रण से बाहर हैं, तो ये देखकर अच्छा लगता है कि उन्हें राहत मिलती है। अक्सर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं क्योंकि वे सालों से अपने वजन के साथ संघर्ष कर रहे होते हैं और आखिरकार उन्हें कुछ उम्मीद दिखाई देती है।"

(आईएएनएस)


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