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New Treatment of High Blood Pressure : AIIMS की नई खोज, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज अब और सरल

New Treatment of High Blood Pressure : भारत में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के प्रभावी इलाज के लिए दवाओं के सर्वोत्तम संयोजन का पता लगाने वाला एक महत्वपूर्ण अध्ययन अब पूरा हो चुका है। यह शोध AIIMS, इम्पीरियल कॉलेज लंदन, सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल और अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

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New Treatment of High Blood Pressure

New Treatment of High Blood Pressure

New Treatment of High Blood Pressure : भारत में उच्च रक्तचाप (Blood pressure) के इलाज के लिए सबसे प्रभावी दवाओं के संयोजन पर शोध अपने निष्कर्ष पर पहुंच गया है। यह अध्ययन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), इम्पीरियल कॉलेज लंदन, और सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने मिलकर किया।

TOPSPIN: A unique diagnostic test

इस क्लीनिकल ट्रायल का नाम "TOPSPIN" (ट्रीटमेंट ऑप्टिमाइजेशन फॉर ब्लड प्रेशर विद सिंगल-पिल कॉम्बिनेशंस इन इंडिया) रखा गया। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों में एक बड़ी कमी को दूर करने के उद्देश्य से किया गया, क्योंकि अभी तक भारतीय मरीजों के लिए सबसे बेहतर दवा संयोजन का कोई ठोस प्रमाण नहीं था।

New Treatment of High Blood Pressure : चुने गए दवा संयोजन

अध्ययन में तीन सामान्य और प्रभावी दवा संयोजन का परीक्षण किया गया:

  1. एम्लोडिपिन/पेरिंडोप्रिल
  2. पेरिंडोप्रिल/इंडापामाइड
  3. एम्लोडिपिन/इंडापामाइड

इन दवाओं को चुने जाने का कारण यह है कि ये रक्तचाप (Blood pressure) कम करने और हृदय संबंधी जटिलताओं के जोखिम को कम करने में कारगर मानी जाती हैं।

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एकल-दवा संयोजन: क्यों है फायदेमंद?

  • तेज़ और प्रभावी रक्तचाप नियंत्रण।
  • कम साइड इफेक्ट।
  • आसान खुराक, जिससे मरीज दवा लेना नहीं भूलते।

अध्ययन की कार्यप्रणाली

अध्ययन में भारतीय मरीजों को शामिल किया गया, जो या तो किसी दवा पर नहीं थे या केवल एक दवा पर थे। मरीजों को निम्न-खुराक वाली दवाएं दी गईं और दो महीने बाद उनकी खुराक बढ़ाई गई। छह महीने में सभी मरीजों को पूर्ण खुराक दी गई, जिससे निष्कर्ष सटीक और व्यापक बने।

चुनौतियां और सीमाएं

1. मरीजों की भर्ती में दिक्कतें:
अधिकांश हल्के उच्च रक्तचाप (High Blood pressure) के मरीज छोटे क्लीनिकों में इलाज कराते हैं, जिससे बड़ी संख्या में प्रतिभागियों को जोड़ना कठिन रहा।
2. अन्य दवाओं का परीक्षण नहीं:
शोध में केवल तीन संयोजनों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जबकि बीटा-ब्लॉकर्स जैसी दवाएं शामिल नहीं की जा सकीं।
3. दीर्घकालिक परिणामों की कमी:
फंडिंग की सीमा के कारण अध्ययन का फोकस केवल रक्तचाप कम करने तक ही सीमित रहा।

भारत और दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण कदम

यह अध्ययन भारतीय मरीजों की विशिष्ट स्वास्थ्य जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया पहला शोध है। 30 से 79 वर्ष के प्रतिभागियों और महिला मरीजों की अच्छी भागीदारी से यह निष्कर्ष व्यापक और प्रभावी माने जा सकते हैं।

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भविष्य की उम्मीदें

शोध के पूरा होने के बाद, यह अध्ययन भारत में उच्च रक्तचाप (High Blood pressure) के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है और लाखों जिंदगियां बेहतर बना सकता है। साथ ही, दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए भी यह मार्गदर्शक साबित होगा।