
Human Rabies Test (Photo- freepik)
Human Rabies Test: रेबीज एक बेहद खतरनाक बीमारी है, लेकिन इंसानों में इसकी पहचान कई बार देर से होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर मरीजों की मौत से पहले उनकी जांच नहीं हो पाती, और अगर होती भी है तो सिर्फ एक-दो सैंपल के आधार पर। इससे कई मामले पकड़ में नहीं आते। इसी वजह से वैज्ञानिकों ने 35 साल के डेटा का बड़ा विश्लेषण किया ताकि पता चल सके कि रेबीज की जांच कब और कैसे ज्यादा सही तरीके से की जा सकती है।
इस शोध में 1990 से 2024 तक अमेरिका में रिपोर्ट हुए 69 मानव रेबीज मामलों को शामिल किया गया। इन सभी मरीजों में मौत से पहले कम से कम एक जांच की गई थी, जैसे लार, गर्दन (nuchal skin), सीरम या CSF (दिमाग के आसपास का तरल)। कुल मिलाकर 382 सैंपल जांचे गए।
वैज्ञानिकों ने देखा कि किस सैंपल में कब तक वायरस पकड़ में आता है और बीमारी शुरू होने के कितने दिन बाद जांच पॉजिटिव होती है। बीमारी शुरू होने के बाद पहला पॉजिटिव सैंपल मिलने का औसत समय 8 दिन का था। मरीजों की औसत मौत का समय 16 दिन पाया गया। यानी डॉक्टरों के पास सही जांच करने के लिए बहुत कम समय की खिड़की होती है।
अगर किसी मरीज से चारों जरूरी सैंपल (लार, नुचाल स्किन, सीरम और CSF) लिए गए, तो रैबीज़ पकड़ने की सफलता 100% तक रही। यानी चारों सैंपल लेने पर फॉल्स-नेगेटिव होने का खतरा बहुत कम (2% से भी कम) था। लेकिन अगर डॉक्टर सिर्फ एक ही सैंपल की जांच करते हैं, तो बीमारी पकड़ने की संभावना 65% से भी कम हो जाती है। इससे कई मामले छूट सकते हैं।
लार और गर्दन की स्किन: बीमारी के शुरुआती दिनों में वायरस जल्दी पकड़ा जाता है
सीरम और CSF: बीमारी थोड़ी बढ़ने के बाद शरीर एंटीबॉडी बनाता है, तब ये जांचें पॉजिटिव होती हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ एक तरह का सैंपल भरोसा करने के लिए काफी नहीं है।
यह स्टडी बताती है कि रेबीज की जांच सिर्फ टेस्ट करवाने तक सीमित नहीं, बल्कि सही सैंपल और सही टाइमिंग पर निर्भर करती है। अगर मरीज बीमारी की शुरुआत में है, तो लार और स्किन से वायरस पकड़ में आ सकता है बाद में, सीरम और CSF में एंटीबॉडी दिख सकती हैं। सिर्फ शुरुआती नेगेटिव रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए। CDC की गाइडलाइन मानकर चारों सैंपल लेना सबसे सुरक्षित तरीका है। इससे इलाज, संक्रमण रोकथाम और पब्लिक हेल्थ की कार्रवाई समय पर की जा सकती है।
Published on:
11 Dec 2025 10:36 am
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