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Cancer Research: बिना कीमो, बिना सर्जरी! मेंढक से होगा कैंसर का इलाज, जापान की स्टडी में खुलासा

Cancer Research: जापान की नई स्टडी में मेंढक की आंत से मिले बैक्टीरिया ने चूहों में एक डोज में कैंसर खत्म कर दिया। जानिए कैसे करता है काम।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 29, 2025

Cancer Research

Cancer Research (photo- freepik)

Cancer Research: कैंसर के इलाज में अब तक सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे तरीकों का इस्तेमाल होता आया है। लेकिन हाल के वर्षों में वैज्ञानिक एक नई दिशा में सोचने लगे हैं। हमारे शरीर में मौजूद गट बैक्टीरिया यानी आंतों के सूक्ष्म जीवों की भूमिका। इसी सोच को और आगे बढ़ाते हुए जापान के वैज्ञानिकों ने एक बेहद अनोखा प्रयोग किया है।

जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के प्रोफेसर एजिरो मियाको की अगुवाई में हुई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने मेंढक, न्यूट और छिपकली जैसे जीवों की आंतों से निकले प्राकृतिक बैक्टीरिया को कैंसर पर आजमाया। यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल Gut Microbes में प्रकाशित हुआ है।

मेंढक की आंत से निकला कैंसर फाइटर बैक्टीरिया

शोध टीम ने जापानी ट्री फ्रॉग, फायर-बेली न्यूट और घास की छिपकली की आंतों से कुल 45 तरह के बैक्टीरिया अलग किए। इनमें से 9 बैक्टीरिया में कैंसर से लड़ने की क्षमता दिखी। लेकिन एक बैक्टीरिया सबसे ज्यादा असरदार निकला Ewingella americana। यह बैक्टीरिया जापानी ट्री फ्रॉग की आंत में पाया जाता है और खास बात यह है कि इसे किसी तरह से जेनेटिकली बदला नहीं गया था। यह पूरी तरह प्राकृतिक बैक्टीरिया था।

चौंकाने वाले नतीजे

चूहों में कोलोरेक्टल कैंसर पर किए गए प्रयोग में वैज्ञानिकों ने देखा कि Ewingella americana की सिर्फ एक इंजेक्शन डोज से ही ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो गया। सभी चूहों में कैंसर गायब हो गया। यह असर कीमोथेरेपी की दवा डॉक्सोरूबिसिन और आधुनिक इम्यूनोथेरेपी से भी ज्यादा मजबूत था।

बैक्टीरिया कैसे करता है कैंसर पर हमला?

यह बैक्टीरिया दो तरीकों से काम करता है:

सीधा हमला: कैंसर ट्यूमर में ऑक्सीजन कम होती है। यह बैक्टीरिया ऐसे माहौल में तेजी से बढ़ता है। 24 घंटे के अंदर ट्यूमर के अंदर इसकी संख्या हजारों गुना बढ़ गई और कैंसर कोशिकाएं मरने लगीं।

इम्यून सिस्टम को जगाना: यह बैक्टीरिया शरीर की सुरक्षा सेना यानी T सेल, B सेल और न्यूट्रोफिल्स को ट्यूमर तक बुला लेता है। ये सेल्स TNF अल्फा और IFN बीटा जैसे केमिकल छोड़ते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करते हैं।

क्या इससे शरीर को नुकसान नहीं हुआ?

सबसे बड़ा सवाल यही था कि कहीं यह बैक्टीरिया स्वस्थ अंगों को नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा। लेकिन शोध में पाया गया कि यह बैक्टीरिया 24 घंटे में खून से साफ हो गया और लिवर, किडनी, दिल या फेफड़ों में जमा नहीं हुआ। हल्की सूजन जरूर दिखी, लेकिन वह 3 दिन में अपने आप ठीक हो गई। 60 दिन तक निगरानी में भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं दिखा।

आगे क्या?

यह शोध कोई तुरंत इलाज नहीं है, लेकिन यह जरूर दिखाता है कि प्रकृति में छिपे सूक्ष्म जीव भविष्य में कैंसर इलाज का बड़ा हथियार बन सकते हैं। आने वाले समय में वैज्ञानिक इसे ब्रेस्ट कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर पर भी आजमाएंगे। अगर आगे भी ऐसे ही नतीजे मिले, तो हो सकता है कि भविष्य में कैंसर का इलाज कम दर्दनाक और ज्यादा प्राकृतिक हो जाए।


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