Causes of Heart Attack in Women : हार्ट अटैक जिसे दिल का दौरा भी कहते हैं एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है जिसमें दिल की मांसपेशियों को खून की सप्लाई कम या बंद हो जाती है. यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं में इसके कारण और लक्षण कई बार अलग हो सकते हैं. आइए महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack in Women) के 3 मुख्य कारणों पर बात करते हैं
महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack in Women) के सबसे आम कारणों में वही जोखिम कारक शामिल हैं जो पुरुषों में भी होते हैं, लेकिन महिलाओं में इनका असर थोड़ा अलग दिख सकता है. इनमें सबसे ऊपर हैं:
हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure): अगर ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है, तो यह दिल की धमनियों को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें सख्त कर देता है, जिससे दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. महिलाओं में, खासकर रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद, हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है.
हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol): खून में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) का ज्यादा होना धमनियों में प्लाक जमने का कारण बनता है. यह प्लाक धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे खून का बहाव मुश्किल हो जाता है. महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का स्तर हार्मोनल बदलावों से प्रभावित हो सकता है.
डायबिटीज (मधुमेह): डायबिटीज से खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जो समय के साथ ब्लड वेसल्स (रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचाता है. डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में दिल का दौरा (Heart Attack in Women) पड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है और उन्हें इसके लक्षण भी अलग तरह से महसूस हो सकते हैं.
मोटापा (Obesity): अधिक वजन होने से हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, ये सभी दिल के दौरे के मुख्य कारण हैं.
धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान धमनियों को नुकसान पहुंचाता है, खून को गाढ़ा करता है और दिल की बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ा देता है. महिलाओं में धूम्रपान का दिल पर और भी ज्यादा बुरा असर पड़ सकता है.
शारीरिक गतिविधि की कमी (Lack of Physical Activity): जो महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहतीं, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है.
पारिवारिक इतिहास (Family History): अगर परिवार में किसी को कम उम्र में दिल का दौरा पड़ा हो, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है
Heart Attack: इन लक्षणों को ना लें हल्के में
महिलाओं में कुछ खास हार्मोनल बदलाव और जीवनशैली से जुड़ी आदतें भी दिल के दौरे (Heart Attack in Women) का खतरा बढ़ा सकती हैं:
मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति): मेनोपॉज के बाद, एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है. एस्ट्रोजन दिल की धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, इसलिए इसके कम होने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यही वजह है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं.
गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं (Pregnancy Complications): गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएं, जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्थाकालीन मधुमेह), प्री-एक्लेम्पसिया (गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप) और गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप, भविष्य में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती हैं.
तनाव और डिप्रेशन (Stress and Depression): महिलाएं अक्सर पुरुषों की तुलना में तनाव और डिप्रेशन का अनुभव अलग तरह से करती हैं. लंबे समय तक रहने वाला तनाव और डिप्रेशन दिल पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है. तनाव के कारण अक्सर खराब खान-पान, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि में कमी आ जाती है, जो सभी दिल के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune Diseases): कुछ ऑटोइम्यून बीमारियाँ, जैसे ल्यूपस और रुमेटीइड आर्थराइटिस, महिलाओं में ज्यादा आम होती हैं. ये बीमारियाँ शरीर में सूजन पैदा कर सकती हैं, जिससे धमनियों को नुकसान पहुंचता है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.
महिलाओं में एक और महत्वपूर्ण कारण है "माइक्रोवैस्कुलर डिजीज" या दिल की छोटी रक्त वाहिकाओं की बीमारी. यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा आम है और अक्सर इसका निदान मुश्किल होता है. इसमें दिल को खून पहुंचाने वाली बड़ी धमनियां तो ठीक दिखती हैं, लेकिन दिल की छोटी रक्त वाहिकाओं (आर्टेरियोल्स और केशिकाओं) में समस्या होती है. इन छोटी वाहिकाओं में सिकुड़न या क्षति के कारण दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता, जिससे दिल का दौरा (Heart Attack in Women) पड़ सकता है. इस स्थिति में अक्सर एंजियोग्राफी में बड़ी धमनियां सामान्य दिखती हैं, जिससे बीमारी को पकड़ना मुश्किल हो जाता है.
महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack in Women) के कारणों को समझना बहुत जरूरी है ताकि समय पर इसकी पहचान और इलाज हो सके. सिर्फ पुरुषों वाले लक्षणों पर ध्यान न दें, बल्कि महिलाओं में दिखने वाले अलग लक्षणों (जैसे थकान, सांस फूलना, उल्टी या अपच) पर भी गौर करें. नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और जोखिम कारकों को नियंत्रित करना महिलाओं में दिल के दौरे के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर आपको या आपके आसपास किसी महिला को दिल के दौरे के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें.
Published on:
12 Jun 2025 06:00 pm